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पुरानी जमीं से नए सफर की तरफ बीएसपी ने बढ़ाए कदम

locationकानपुरPublished: Jan 12, 2020 02:00:44 am

Submitted by:

Vinod Nigam

30 फीसदी दलित बाहूल्य क्षेत्र बुंदेलखंड की कमान मायावती ने नौशाद अली को सौंपी, 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले 19 सीटों पर बसपा की जमीन को करेंगे मजबूत।

पुरानी जमीं से नए सफर की तरफ बीएसपी ने बढ़ाए कदम

पुरानी जमीं से नए सफर की तरफ बीएसपी ने बढ़ाए कदम

कानपुर। जन्म से बसपा का गढ़ रहा बुंदेलखंड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुनामी में ढह गया। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी खाता तक नहीं खोल पाई। ऐसे में बसपा सुप्रीमो मायातवी ने अपनी पुरानी जमीन से 2022 पर कब्जे के लिए नए सफर की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। बसपा का अभेद्य किला रहे बुंदेलखंड की बागडोर पार्टी के मुख्य जोन इंचार्ज नौशाद अली को सौैंपी है। अब नौशाद के पास कानपुर के साथ ही यहां के सात जिलों की 19 सीटों पर बसपा के लिए जमीन तैयार करने की जिम्मेदारी है।

19 में 19 पर खिला कमल
जन्म से ही बहुजन समाज पार्टी का गढ़ बुंदेलखंड रहा। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में यहां से उसके 15 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी और मायावती को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला था। हर बार यहां से चुने गए कम से कम आधा दर्जन विधायकों को उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में जगह दी। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुनामी के कारण मायावती का ये किला ढह गया और यहां की 4 में 4 लोकसभा और 19 में से 19 विधानसभा सीटों में कमल का फूल खिला।

7 सीटें दलित बाहूल्य
बुंदेलखंड की 19 में से 7 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां दलित और आदिवासी वोटर निर्णायक संख्या में हैं। यहां से बादशाह सिंह, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, दद्दू प्रसाद जैसे कद्दावर नेता बसपा सरकार में मंत्री रहे और बुंदेलखंड की सियासी हैसियत के प्रतीक बने रहे। पूर्व विधानसभा प्रतिपक्ष के नेता गयाचरण दिनकर भी मानते हैं कि पिछले कई चुनाव में पार्टी को यहां हार उठानी पड़ी। लेकिन हमारी पार्टी युवाओं को जोड़ने के लिए उनके बीच जा रही है। लोग अभी भी बहुजन समाज पार्टी के शासन काल में चलाये गए जन कल्याणकारी योजनाओं को याद करते हैं और मायावती के मुख्यमंत्री रहने के दौरान प्रदेश की कानून-व्यवस्था की बेहतर स्थिति को याद करते हैं।

30 फीसदी दलित वोटर्स

बुंदेलखंड के कुल मतदाताओं में दलितों की भागीदारी लगभग 30 प्रतिशत है। बुंदेलखंड में कभी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने वाली बसपा अब अपने बिखरे वोटबैंक को समेटकर फिर से अपने सियासी मिशन को सफलता की ओर ले जाने की कवायद में है। इसी के चलते बसपा चीफ ने यहां की बागडोर नौशाद अली को सौंपी है। नौशाद अली दलित मतदाताओं के साथ मुस्लिमों को बसपा के पाले में लाने के लिए विरोधी दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करा सकते हैं। जानकारों की मानें तो एक नेता हैं तो भाजपा व सपा से चुनाव लड़ चुके हैं और वह कभी भी हाथी की सवारी कर सकते हैं।

कानपुर मे की बैठक
कानपुर-बुंदेलखंड की जिम्मेदारी मिलने के बाद नौशाद ने शनिवार को कानपुर का दौरा किया। उन्होंने यहां के कई पुराने बसपा और सपा से जुड़े नेताओं से मुलाकात कर पार्टी को मजबूत करने को लेकर चर्चा किया। पता चला है कि दूसरी पार्टियों के कई नेता जल्द ही मायावती से मिलने लखनऊ जाएंगे। नौशाद अली से कुछ दूसरे दलों के नेता भी मिलनें के लिए आए। जो जल्द ही बसपा की सदस्यता ले सकते हैं। इसमें समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कई कददावर चेहरे हैं।

2022 में बसपा की जीत पक्की
नौशाद खान ने बताया कि जल्द ही वह बुंदेलखंड के जनपदों का भी दौरा कर वहां के लोगों से मिलेंगे। नौशाद अली ने कहा कि बसपा का वोट प्रतिशत आज भी पहले की तरह से पार्टी के साथ खड़ा है। पार्टी 2022 का चुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ेगी और बुंदेलखंड में भाजपा को उखाड़ फेंकेगी। नौशाद अली कहते हैं हमारी पार्टी युवाओं को जोड़ने के लिए उनके बीच जा रही है। लोग अभी भी बहुजन समाज पार्टी के शासन काल में चलाये गए जन कल्याणकारी योजनाओं को याद करते हैं और बहन जी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान प्रदेश की कानून-व्यवस्था की बेहतर स्थिति को याद करते हैं।

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