इन गांव के लोग बुझाते थे प्यास यह पानी की टंकी 2015 में बनवाई गई थी, जिसकी शुरुवात गांव के प्रधान के द्वारा कर दी गई थी। इस पानी की टंकी से आस पड़ोस के 4 गांव को पानी सप्लाई किया जा रहा था, जिसमें गांव अजनपुर, हिनौती, ब्राह्मण गांव है। बताया गया कि तकरीबन 10 किलोमीटर के दायरे में पाइप लाइन बिछाई गई, जिससे चारों गांव के ग्रामीणों को पीने के लिए शुद्ध जल मिल सके लेकिन महज एक साल के अंदर ही अधिकांश पाइपलाइन फट गई और पानी की सप्लाई पूर्ण रूप से बंद हो गई।
ग्रामीणों ने बयां की पूरी सच्चाई ग्रामीण बताते हैं कि पानी की टंकी शुरूवात होने पर सभी गांव के लोगों ने राहत की सांस ली थी, क्योंकि पानी की मूलभूत समस्या का समाधान हो गया था लेकिन कुछ महीने में सारी आशाओं पर पानी फिर गया। बता दें कि करोड़ों रुपए की लागत से बनी इस टंकी के साथ बकायदा यहां तैनात कर्मचारियों के लिए आवास बनाए गए थे, जो अब खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। आवास गंदगी और कूड़े के ढेर में तब्दील हो चुके हैं। पानी की टंकी को चलाने के लिए ट्रांसफार्मर लगाया गया था और बिजली की उचित व्यवस्था की गई थी। ग्रामीणों ने शिकायत भी की लेकिन किसी भी अधिकारी ने सुध नहीं ली। फिलहाल ग्रामीण पहले की तरह समस्याओं में जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं।
जिम्मेदार झाड़ रहे पल्ला बहरहाल पूरे मामले मे जब जलनिगम के अधिशासी अभियंता से बात की तो वो अपने विभाग और विभाग के ठेकेदार की जांच करवाने की बजाय पूरे मामले में ग्राम प्रधान को दोषी बताते नजर आए और कहा कि पानी की टंकी 2015 में ग्राम प्रधान को सुपुर्द कर दी गई थी। सुपर्दगी के बाद ज़िम्मेदारी जलनिगम की नहीं ग्राम प्रधान की होती है।देखा जाए तो सपा सरकार मे बनी पानी की टंकी में करोड़ो का घोटाला किया गया लेकिन इसकी ज़िम्मेदारी लेने को कोई भी अधिकारी तैयार नहीं है। बिना मानक ठेकेदार के द्वारा कार्य करवाया गया ओर विधवत जल निगम के अधिकारियों ने ठेकेदार का विल पास कर भुगतान कर दिया। इस तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई पानी की टंकी।