कानुपर। कौन कहता है, आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों..’ दुष्यंत के इस शेर से प्रेरणा लेकर कानपुर के गुमटी निवासी निवासी कैलुकेटर गर्ल ( दिलप्रीत कौर) अपनी छोटी से उम्र में कई मुकाम हासिल कर लिए। बिना-कागज और पेन के चंद सेकेंड में मैथ के बड़े से बड़ा सवाल हल करने के साथ ही लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉड में नाम दर्ज कराने वाली कौर के नाम और
काम ? को देखकर जर्मनी के न्यूज चैनल एआरडी की टीम 11 अप्रेल को उनके घर आई और पूरे आठ घंटे तक फिल्म की शूटिंग की। 40 मिनट की यह फिल्म 3 जून को भारत में रिलीज की जाएगी, जिसे कनपुरियों के साथ देश के 125 करोड़ लोग देख सकेंगे। यह फिल्म अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन के साथ कई देशों में रिलीज हो गई है, जिसे वहां के स्टूडेंट्स देखकर कैलुकेटर गर्ल की बारीकियों को सीख रहे हैं। दिलप्रीत ने बताया कि कई छात्रों ने फोन कर मुझझे मदद मांगी। वहां के छात्र अब मुझे टीचर के नाम से पुकारते हैं।
कई अवार्ड जीतेउत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कानपुर की दिलप्रीत कौर ने एक साल के अंदर 13 लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर सभी को चौंका दिया था। कैलकुलेटर गर्ल के नाम से मशहूर दिलप्रीत बड़ी होकर आईएएस बनना चाहती हैं। वह अभी 11 वीं की छात्रा हैं और स्नातक के बाद सिविल सर्विस की तैयारी करने के दिल्ली जाएंगी। एक साल के अंदर ही 11 राष्ट्रीय और 2 वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम करने वालीं दिलप्रीत चुटकी बजाते ही कठिन से कठिन गणित के कैलकुलेशन कर देती हैं। दिलप्रीत कहती हैं कि वह कोई भी कैलकुलेशन मिनटों में कर सकती हैं। दिलप्रीत ने बताया कि इसे के चलते दिल्ली स्थित जर्मनी के न्यूज चैनल की एआरडी की टीम को हमारे बारे में बात पता चली तो वह कानपुर आकर फिल्म शूट की।
दो साल पहले चर्चा में आई थी दिलप्रीत25 अगस्त 2016 को जिला प्रशासन, रेलवे अधिकारी और अन्य लोगों की मौजूदगी में एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसमें दिलप्रीत ने रिकॉर्ड समय में 11 प्रश्नों का हल निकालकर 11 रिकॉर्ड्स बनाए थे।ये सभी गणित के कैलकुलेशन उसने 15.83 सेकंड से 1.36 मिनट में कर दिए थे। मौजूदा समय में दिलप्रीत के नाम कुल 14 रिकॉर्ड्स हैं जिनमे दो वर्ल्ड रिकॉर्ड्स भी हैं। दिलप्रीत कौर ने बताया कि माता-पिता के साथ टीचरों के सहयोग से उन्होंने यह विश्व रिकार्ड बनाया। पिता मैथ के टीचर हैं और वह पूरी हर चुनौती में कंधे से कंधा से मिलाकर चलते हैं। पापा बचपन से मुझे मैथ का अभ्यास कराया कि दिमाग में कम्प्यूटर की पोटोग्रफिक मेमोरी डेवलब हो गई। अब कितना भी लम्बा कैलुकेशन क्यों न हो मैं पलक झपकते हल कर लेती हूं।
11 अप्रैल को हुई थी शूटिंगदिलप्रीत ने बताया कि दिल्ली से जर्मनी की टीम 11 अप्रेल को कानपुर मेरे घर में आई और फिल्म को करीब आठ घंटे तक शूअ किया। दिलप्रीत की फिल्म जर्मनी में रिलीज हो गई है, जिसके चलते जर्मनी के स्टूडेंट्स के साथ उनके पैरेंट्स कैजुकेटर गर्ल के दिवाने हो गए हैं। बेहद प्रतिभाशाली इस छात्रा के वीडियो वहां के न्यूज चैनलों में दिखाए जा रहे हैं। इसके चलते कैलुकेटर गर्ल ब्रिटेन और अमेरिका में भी मशहूर हो गई है। दिलप्रीत कौर का दिमांग बचपन से समान्य बच्चों से अलग रहा है। 11वीं छात्रा को कुछ दिन पहले सीएम ने लक्ष्मी बाई फाल्के पुरूसकार देकर नवाजा था। कानपुर के पूर्व डीएम के बेटे को दिलप्रीत के पिता पढ़ाते थे और वह आज भी कानपुर आकर दिलप्रीत के घर में रूककर मैथ की प्रैक्टिस करता है।
सिख संगठन देगा आर्थिक मदददिलप्रीत कौर के पिता सरदार मंजीत सिंह एक प्राईवेट स्क्ूल में मैथ के टीचर हैं। मंजीत बताते हैं कि बेटी की कामयाबी के पीछे उसका अहम रोल है। हम तो उसे रास्ता बता सकते हैं, लेकिन दौड़ना तो उसे ही है और उसने काटों भरे डगर को खुद अकेले पार किया। उसके इस कार्य को देखकर देश-दुनिया के कई संगठन आर्थिक मदद के लिए आगे आए हैं। मंजीत ने बताया कि बेटी की प्रतिभा को देखते हुए अमेरिका स्थित एक सिख्स संगठन उसकर पूरा खर्चा उठाने के लिए आगे आया है। संगठन के पदाधिकारी मार्च में हमारे घर आए थे और बेटी जहां भी पढ़ना चाहेगी उसका पूरा खर्चा संगठन की तरफ से मिलगा।