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सेंट्रल बैंक कानपुर लॉकर केस : देश के इतिहास में पहली बार बैंक ने दिया इतना बड़ा मुआवजा जानें

locationकानपुरPublished: Apr 26, 2022 01:02:53 pm

Central Bank Kanpur Locker Case सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराचीखाना कानपुर की सबसे पुरानी शाखा है। 14 मार्च को अचानक बैंक के लॉकर धारकों के लॉकर से जेवर गायब हो गया। करीब 11 लाकरधारकों ने अपनी शिकायतें दर्ज कराई। फिर बैक मुआवज देने को राजह हो गया। देश के इतिहास में पहली बार हुआ कि, किसी बैंक ने इस तरह के मामले में अंतरिम मुआवजा दिया है। वाह.. जानें कितना मिला।

सेंट्रल बैंक कानपुर लॉकर केस : देश के इतिहास में पहली बार बैंक ने दिया इतना बड़ा मुआवजा जानें

सेंट्रल बैंक कानपुर लॉकर केस : देश के इतिहास में पहली बार बैंक ने दिया इतना बड़ा मुआवजा जानें

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया कराचीखाना शाखा कानपुर के लॉकरों से चोरी हुए जेवर और कैश मामले में बैंक प्रबंधन सभी 11 पीड़ितों को आज मुआवजा दिया। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि, किसी बैंक ने इस तरह के मामले में अंतरिम मुआवजा दिया है। ग्राहकों ने कुल 3.71 करोड़ रुपए का क्लेम मांगा था, पर बैंक 75 प्रतिशत मुआवजा दे रहा है। इस हिसाब से सेंट्रल बैंक ने दो करोड़ 64 लाख 50 हजार रुपए का भुगतान किया। बैंक का कहना है कि, इससे सभी लॉकर धारकों व ग्राहकों के बीच बैंक का विश्वास, साख और प्रतिष्ठा बनी रहेगी। भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो। इसके लिए रीजनल ऑफिसर की देखरेख में लॉकर खोला जाएगा। कानपुर की सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराचीखाना ब्रांच शहर की पुरानी बैंकों में गिनी जाती है।
आपस में हुई सहमति

मुंबई स्थित केंद्रीय कार्यालय से कार्यपालक निदेशक राजीव पुरी सोमवार को हजरतगंज स्थित कार्यालय पहुंचे। यहां पर राज्य सरकार के अधिकारियों से मुलाकात की। और लॉकर न्याय संघर्ष समिति के पदाधिकारियों संग बैठक हुई। राजीव पुरी ने समिति के पवन गुप्ता और अभिमन्यु गुप्ता के साथ समझौते के बाद पत्रकार वार्ता कर मुआवजा देने की घोषणा की।
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इनको मिला मुआवजा

इस समझाौते के बाद कराचीखाना शाखा के सभी पीड़ित लॉकरधारकों कुल दो करोड़ 64 लाख 50 हजार रुपए क्लेम दिया। इसमें सीता गुप्ता को 17.5 लाख, मंजू भट्टाचार्य 25 लाख, शकुंतला देवी 25 लाख, पंकज गुप्ता 25 लाख, मीना यादव 50 लाख, निर्मला तहिलियानी 25 लाख, वैभव महेश्वरी 20 लाख, महेंद्र सविता दो लाख, सुशीला देवी 25 लाख, राजा बेटी गुप्ता 25 लाख, अमिता गुप्ता 25 लाख रुपए मुआवजा मिले।
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फार्मूले का आधार बना स्त्री धन

लॉकर में रखी गई वस्तुओं की जानकारी कोई उपलब्ध नहीं कराता है। बैंक को सिर्फ किराया से मतलब होता है। इस पूरे मामले में लॉकरधारक ज्यादातर महिलाएं थीं। आयकर कानून में भी पांच सौ ग्राम तक सोना होने पर कोई पूछताछ नहीं की जाती है। सोना महिला का स्त्री धन माना जाता है। इसी आधार पर बैंक ने पीड़ितों को प्रस्ताव दिया। इस पूरे मामले में बैंक के मैनेजर और लॉकर इंचार्ज की भूमिका पुलिस की जांच में आ रही है। ऐसे में प्रबंधन अपनी साख बचाने के लिए मुआवजा देने को तैयार हुआ। मीना यादव के लॉकर में उनकी बहन के भी गहने थे। ऐसे में उन्हें 50 लाख का भुगतान किया जा रहा है।
मामला जानें

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराचीखाना ब्रांच शहर कानपुर पुरानी बैंकों में गिनी जाती है। बीती 14 मार्च को ब्रांच के लॉकर से कथिततौर पर जेवरात चोरी का पहला मामला सामने आया था। फिर तो कई केस सामने आए।
पहली बार इतना बड़ा मुआवजा मिला

लॉकर न्याय संघर्ष समिति के संयोजक अभिमन्यु गुप्ता ने बताया कि, 11 पीड़ितों ने शनिवार को शपथ पत्र पर बैंक के लॉकर से गहने और कैश चोरी होने संबंधी जानकारी बैंक प्रबंधन को उपलब्ध करा दी थी। यह पहला मौका है जब लॉकर चोरी में पीड़ितों को इतनी बड़ा मुआवजा मिला है।
किन्हें, कितना मिला मुआवजा :-
पीड़ित – दावा – भुगतान
मंजू भट्टाचार्य 30 लाख – 25 लाख
एसके पोद्दार 30 लाख 25 लाख
राजाबेटी गुप्ता 35 लाख 25 लाख
निर्मला तहलियानी 35 लाख 25 लाख
अमिता गुप्ता 43.56 लाख 25 लाख
मीना यादव 80 लाख 50 लाख
सीता गुप्ता 20 लाख 17.5 लाख
सुशीला शर्मा 42 लाख 25 लाख
पंकज गुप्ता 35 लाख 25 लाख
वैभव माहेश्वरी 25 लाख 20 लाख
महेंद्र सविता 02 लाख 02 लाख ।
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