पिछले एक महीने से चल रहे लॉकडाउन के कारण घर में कैद रहने से बच्चों के मिजाज में बदलाव आने लगा है। पढ़ाई के अलावा और कोई काम न होने से बच्चे शैतानी अधिक कर रहे हैं या फिर चुप रहते हैं। इसी वजह से बच्चों ने खाना-पीना भी कम कर दिया है। वे मोबाइल गेम और कार्टून चैनल देखने में व्यस्त हो जाते हैं। अगर कोई टोकता है तो बहुत चिल्लाकर बात करने लगते हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग की हेल्पलाइन देख रहे विशेषज्ञ डॉ. गणेश शंकर का कहना है कि माता-पिता फोन करके बच्चों के व्यवहार में आने वाले बदलाव के संबंध में बता रहे हैं। वहीं मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक सिंह चौहान ने बताया कि बच्चों में एनर्जी बहुत होती है। यह चैनलाइज नहीं हो पा रही है, जिसका असर उनके बदले हुए व्यवहार के रूप में देखने को मिल रहा है। अभिभावक बच्चों में चिड़चिड़ापन बढऩे, खाना कम खाने, नींद में दिक्कत, हाइपर होने की शिकायतें कर रहे हैं। ऐसे में बच्चों का ध्यान सकारात्मक कार्यों की तरफ मोडऩा जरूरी है।
मनोरोग विशेषज्ञों बच्चोंं को सामान्य रखने के लिए कई उपाय सुझाए हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि बच्चों को पढ़ाई-लिखाई से संबंधित टास्क दें और उनकी जो हॉबी हो उसी के अनुसार उनसे काम कराएं। इसके अलावा घर में ही पिकनिक मनाने का प्रोग्राम बनाएं। माता-पिता एक सप्ताह का चैलेंज चार्ट बनाएं, उसी के अनुसार बच्चों को इनाम भी दें जिससे बच्चों की उसमें रुचि बढ़े। इसके अलावा घर को रेस्टोरेंट बनाकर माता-पिता शेफ, बच्चे ग्राहक बनने का खेल कर सकते हैं। समय कम हो तो दिन के समय को विभिन्न गतिविधियों के लिए बांट लें।