इस कारण असंतुलित हुआ हॉरमोन
डॉक्टरों के मुताबिक हॉरमोन असंतुलन की मुख्य वजह जंक फूड और स्मार्ट फोन का ज्यादा इस्तेमाल है। देर रात तक जागना और अनियमित दिनचर्या का हॉरमोन पर बुरा असर पड़ रहा है। जिससे देखा जा रहा है कि सात साल की उम्र में ही बच्चों के चेहरे और शरीर पर अधिक बाल आ गए तो कुछ बच्चों में १८ साल की उम्र पर भी १० साल के लक्षण मिलते हैं। जबकि ऐसे भी बच्चे देखने में आ रहे हैं जिनके १५ साल की उम्र में ही बाल झडऩे लगते हैं और जवानी में ही वे गंजे हो रहे हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक हॉरमोन असंतुलन की मुख्य वजह जंक फूड और स्मार्ट फोन का ज्यादा इस्तेमाल है। देर रात तक जागना और अनियमित दिनचर्या का हॉरमोन पर बुरा असर पड़ रहा है। जिससे देखा जा रहा है कि सात साल की उम्र में ही बच्चों के चेहरे और शरीर पर अधिक बाल आ गए तो कुछ बच्चों में १८ साल की उम्र पर भी १० साल के लक्षण मिलते हैं। जबकि ऐसे भी बच्चे देखने में आ रहे हैं जिनके १५ साल की उम्र में ही बाल झडऩे लगते हैं और जवानी में ही वे गंजे हो रहे हैं।
तीन तरह का हॉरमोन हुआ प्रभावित
बच्चों में तीन तरह का हॉरमोन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इनमें थॉयराइड और एड्रेनेलीन सबसे खास है। लड़कियों में भी हॉरमोन की गड़बड़ी का असर दिख रहा है। बाल रोग विशेषज्ञ प्रो. रूपा डालमिया सिंह के अनुसार लड़कियों में हॉरमोन की वजह से किसी में किशोरावस्था लेट हो गई तो कुछ समय से पहले ही किशोरअवस्था तक पहुंच गईं। ऐसे बच्चों का अगर सही समय पर इलाज शुरू हो जाए तो सुधार किया जा सकता है।
बच्चों में तीन तरह का हॉरमोन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इनमें थॉयराइड और एड्रेनेलीन सबसे खास है। लड़कियों में भी हॉरमोन की गड़बड़ी का असर दिख रहा है। बाल रोग विशेषज्ञ प्रो. रूपा डालमिया सिंह के अनुसार लड़कियों में हॉरमोन की वजह से किसी में किशोरावस्था लेट हो गई तो कुछ समय से पहले ही किशोरअवस्था तक पहुंच गईं। ऐसे बच्चों का अगर सही समय पर इलाज शुरू हो जाए तो सुधार किया जा सकता है।
सही समय पर सतर्कता जरूरी
प्रो. रूपा डालमिया ने बताया कि लोगों के साथ-साथ डॉक्टर भी इस बारे में लापरवाह दिखते हैं। हॉरमोन के असंतुलन को जितना जल्दी सुधार लिया जा उतना ही जीवन बेहतर हो सकता है। वरना यह समस्या आगे चलकर और बढ़ती जाती है। हैलट के डॉ. शिवेंद्र वर्मा ने बताया कि बच्चों में टाइप वन डायबिटीज व थायराइड से होने वाली दिक्कतें बढ़ रही हैं।
प्रो. रूपा डालमिया ने बताया कि लोगों के साथ-साथ डॉक्टर भी इस बारे में लापरवाह दिखते हैं। हॉरमोन के असंतुलन को जितना जल्दी सुधार लिया जा उतना ही जीवन बेहतर हो सकता है। वरना यह समस्या आगे चलकर और बढ़ती जाती है। हैलट के डॉ. शिवेंद्र वर्मा ने बताया कि बच्चों में टाइप वन डायबिटीज व थायराइड से होने वाली दिक्कतें बढ़ रही हैं।
इन लक्षणों पर दें ध्यान
अगर बच्चे का वजन अचानक घटने या बढऩे लगे तो हॉरमोनल जांच जरूर कराएं। इसके अलावा शरीर पर बाल समय से पूर्व निकलने लगे, कंपकंपी, चिंता, तेजी से दिल की धडक़न, बार-बार यूरिन आए और उम्र के हिसाब से लंंबाई कम या अधिक हो जाए तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
अगर बच्चे का वजन अचानक घटने या बढऩे लगे तो हॉरमोनल जांच जरूर कराएं। इसके अलावा शरीर पर बाल समय से पूर्व निकलने लगे, कंपकंपी, चिंता, तेजी से दिल की धडक़न, बार-बार यूरिन आए और उम्र के हिसाब से लंंबाई कम या अधिक हो जाए तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।