इस बीमारी से पीडि़त बच्चों की पहचान वैसे तो मुश्किल होती है, पर एक खास तरीके से इसकी पहचान की जा सकती है, जिसे कहते हैं बीबीआईटी यानि ब्रेन बेस्ड इंटेलीजेंस टेस्ट। इसे तैयार किया है आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने कनाडा, भुवनेश्वर, हैदराबाद, दिल्ली, हरियाणा के तकनीकी संस्थानों के विशेषज्ञों ने। इस तरह के टेस्ट से बौद्धिक क्षमता का आंकलन हो सकेगा।
अब तक विशेषज्ञों ने देशभर के 1200 से अधिक छात्रों पर प्रयोग किया है, जिसके नतीजे बहुत ही शानदार आए हैं। बीबीआइटी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) को सौंपने की तैयारी है। दिसंबर तक केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इसे लागू कराने का प्रस्ताव भेजा जाएगा। इस टेस्ट से मानसिक विकार, याददाश्त में कमी, ऑटिज्म, एपिलेप्सी, डिमेंशिया, नजर की कमी की समस्या का पता चल सकेगा। यह परीक्षा पूरी तरह भारतीय मानकों के मुताबिक तैयार की गई है।
इस तरह के टेस्ट को खास तौर पर पांच से 18 साल के आयु के छात्रों के लिए तैयार किया गया है। इस परीक्षण का स्तर कक्षा बढऩे के साथ ही बढ़ता जाएगा। बौद्धिक क्षमता के आंकलन में भाषा की जरूरत नहीं है। यह टेस्ट चिन्ह, निशान, चित्र, डिजाइन आदि पर आधारित रहेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक नौकरी के दौरान साक्षात्कार के लिए बीबीआइटी का प्रयोग किया जा सकता है।