scriptबच्चा पढ़ाई में बेहद कमजोर तो हो सकता इस बीमारी का शिकार | Children with dyslexia will be easily identified with BBIT | Patrika News
कानपुर

बच्चा पढ़ाई में बेहद कमजोर तो हो सकता इस बीमारी का शिकार

डिस्लेक्सिया के चलते पढऩे, लिखने और समझने में होती कठिनाई
स्कूली स्तर पर कराई जाएगी ऐसे न्यूरो संबंधी रोगों की पहचान

कानपुरOct 07, 2019 / 03:24 pm

आलोक पाण्डेय

बच्चा पढ़ाई में बेहद कमजोर तो हो सकता इस बीमारी का शिकार

बच्चा पढ़ाई में बेहद कमजोर तो हो सकता इस बीमारी का शिकार

कानपुर। कुछ साल पहले आई आमिर खान की फिल्म तारे जमीं पर आपने देखी होगी। इसकी कहानी एक ऐसे बच्चे के इर्द-गिर्द रहती है जो पढ़ाई में कमजोर था। उसे अक्षर और रंग पहचानने में दिक्कत होती थी। दरअसल वह एक खास तरह की बीमारी का शिकार था, जिसके डिस्लेक्सिया कहते हैं। ऐसी दिक्कतों को पहचानना भी मुश्किल भरा है। इसकी एक समस्या ऐसी भी है जो बचपन में आसानी से नजर नहीं आती है। न्यूरो बच्चा देखने, बोलने और व्यवहार में बिल्कुल सामान्य दिखता है, लेकिन उसे पढऩे, लिखने और समझने में कठिनाई होती है।
बीबीआइटी से होगी क्षमता की पहचान
इस बीमारी से पीडि़त बच्चों की पहचान वैसे तो मुश्किल होती है, पर एक खास तरीके से इसकी पहचान की जा सकती है, जिसे कहते हैं बीबीआईटी यानि ब्रेन बेस्ड इंटेलीजेंस टेस्ट। इसे तैयार किया है आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने कनाडा, भुवनेश्वर, हैदराबाद, दिल्ली, हरियाणा के तकनीकी संस्थानों के विशेषज्ञों ने। इस तरह के टेस्ट से बौद्धिक क्षमता का आंकलन हो सकेगा।
१२०० बच्चों पर हुआ सफल प्रयोग
अब तक विशेषज्ञों ने देशभर के 1200 से अधिक छात्रों पर प्रयोग किया है, जिसके नतीजे बहुत ही शानदार आए हैं। बीबीआइटी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) को सौंपने की तैयारी है। दिसंबर तक केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इसे लागू कराने का प्रस्ताव भेजा जाएगा। इस टेस्ट से मानसिक विकार, याददाश्त में कमी, ऑटिज्म, एपिलेप्सी, डिमेंशिया, नजर की कमी की समस्या का पता चल सकेगा। यह परीक्षा पूरी तरह भारतीय मानकों के मुताबिक तैयार की गई है।
5 से 18 साल के छात्रों का होग परीक्षण
इस तरह के टेस्ट को खास तौर पर पांच से 18 साल के आयु के छात्रों के लिए तैयार किया गया है। इस परीक्षण का स्तर कक्षा बढऩे के साथ ही बढ़ता जाएगा। बौद्धिक क्षमता के आंकलन में भाषा की जरूरत नहीं है। यह टेस्ट चिन्ह, निशान, चित्र, डिजाइन आदि पर आधारित रहेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक नौकरी के दौरान साक्षात्कार के लिए बीबीआइटी का प्रयोग किया जा सकता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो