कानपुर

अब लंदन की गलियों में नहीं सुनाई देगी गूंज, CM ने सीसामऊ नाले को बनाया सेल्फी प्वाइंट

365 दिन तक लगातार चला कार्य, 14 करोड़ सीवर का प्रदूषित पानी गंगा में हररोज गिरता था, सीएम योगी के प्रयास के चलते अब लोगों के आकर्षण का केंद्र बना।

कानपुरDec 17, 2019 / 04:27 pm

Vinod Nigam

अब लंदन की गलियों में नहीं सुनाई देगी गूंज, CM ने सीसामऊ नाले को बनाया सेल्फी प्वाइंट

कानपुर। सीसामऊ नाला, पतितपावनी गंगा का सबसे बड़ा गुनहगार था। पूरे गुरूर से 1892 से अनवरत गंगा में सीवर का जहर घोल रहा था। आबादी बढ़ने के साथ ही नाले का प्रवाह भी बढ़ता गया। अफसरों के रहमोकरम से लगभग रोजना रोजाना 14 करोड़ लीटर सीवर का गंदा पानी बेरोक-टोक गंगा में जा रहा था। जिसकी गूंज लंदन की गलियों में भी सुनाई दिया करती थी। नमांमि गंगे योजना के तहत कानपुर आए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसका खुलासा किया था। इसी के का बाद सीएम योगी आदित्यनाथ से इसके खात्में का बीणा उठाया। 365 दिन के अंदर 128 वर्ष पूराना अंग्रेजों के जमाने ये नाला इतिहास के पन्नों में गुम होने के साथ सेल्फी प्वाइंट बन गया।

1892 में अंग्रेजों ने कराई था निर्माण
शहर के बीचोंबीच बजरिया थाने के पास स्थित सीसामऊ नाले का निर्माण अंग्रेजों ने 1892 में करवाया था। पूरे शहर का गंदा पानी इसी के जरिए पिछले 128 सालों से गंगा में गिर रहा था। जिसके टैपिंग के अनगिनत बार प्रयास हुए, लेकिन सफलता नहीं मिली। लंदन में एक कार्यक्रम के दौरान जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से वहां के लोगों ने नाले के बारे में पूछा तो उन्हें तत्काल प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से संपर्क कर इसके अस्तित्व के खात्में के लिए रोडमैप तैयार किया। नमामि गंगे योजना के तहत 365 दिन तक युद्ध स्तर पर कार्य हुआ और 14 दिसंबर को अंग्रेजों की सरकार का गंदा नाला सेल्फी प्वाइंट बनकर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

28 करोड़ रूपए लगे
सीसामऊ नाले के जरिए हररोज करीब 14 करोड़ लीटर प्रदूषित जल और सीवेज गंगा में गिरता था। 2017 में प्रदेश की बागडोर सीएम योगी आदित्यनाथ के हाथों में आने के बाद नालों के टैपिंग के लिए प्लाॅन तैयार किया गया। जिसमें छह मीटर चैड़े सीसामऊ नाले पर 28 करोड़ रूपए की लागत से दो चरणों में इस नाले को पूरी तरह बंद कर दिया गया और 14 करोड़ लीटर प्रदूषित जल का गंगा में गिरना एक झटके से बंद हो गया। इसका सारा प्रदूषित पानी वाजिदपुर और बिनगवां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में शोधन के लिए जाता है।

इन अफसरों ने निभाया अहम रोल
सीसामऊ नाले को खत्में के जिए गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक रहे घनश्याम द्विवेदी इस परियोजना के मुख्य महारथी हैं। जिनका दिन-रात का चैन छिन गया था। बैठकों में सबसे ज्यादा इन्हीं को सुनना भी पड़ा। जबकि शैलेष कुमार आरएसपीएच पंपिंग स्टेशन (भैरो घाट तिराहा) व नवाबी तिराहा तक पाइप लाइन का निर्माण करवाया। इनकी भी कई रातें यहीं पर बीतीं। वहीं जेएस जॉली के प्रोजेक्ट मैनेजर शैलेष कुमार सिंह 5 माह तक सीसामऊ नाले के पास चारपाई डालकर सोए। नमामि गंगे की ठेकेदार फर्म सृष्टि के सीनियर एग्जिक्यूटिव सुपरवाइजर विकास मिश्रा ने भी अहम भूमिका निभाई। जिन सीवर लाइनों से होकर नाले का डायवर्जन होना था उनमें कैमरा लगाकर सफाई कराते रहे। इसके तमाम अवरोधों को दूर कराया। परियोजना का एक अहम पहलू था पंपिंग स्टेशनों को सही ढंग से चालू कराना और इस पर पूरा नियंत्रण रखना ताकि ओवर फ्लो या अन्य तरह की मशीनी दिक्कतें न आएं। इसकी भूमिका जल निगम के विशेष यांत्रिक एवं विद्युत अभियंता सुदीप सिंह ने निभाई।

पर कागजों में खर्च हो गई रकम
बीजेपी विधायक सुरेंद्र मैथानी ने कहा कि विश्व प्रसिद्ध सीसामऊ नाले का प्रदूषित पानी मां गंगा में पिछले 128 साल से गिर रहा था। केंद्र में कांग्रेस व प्रदेश में सपा, बसपा सहित अन्य दलों की सरकारें रहीं। करोड़ों रूपए गंगा सफाई के नाम पर दिल्ली से चलकर लखनऊ आए, पर वह कागजों में खर्च हो गए। 2014 में केंद्र की सत्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद गंगा को स्व्च्छ और सुन्दर बनाने के लिए कार्य शुरू किया गया। 2018 में सीसामऊ नाले को जड से खत्म करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रण लिया और अब ये खलनायक इतिहास के पन्नों में गुम हो गया।

दाग से मिली आजादी
गंगा पहरी देवधर मिश्र कहते हैं पिछली कई दशक से इसे बंद कराए जाने के वो किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। खुद विश्वबैंक के अध्यक्ष, जल संसाधन मंत्री, जापान की टीम और केंद्र व प्रदेश के आला अफसर गंगा में गिरते सीसामऊ नाले को देख चुके हैं लेकिन गंगा में गिर रहे नाले को रोका नहीं जा सका है। गंगा सफाई के नाम पर आठ अरब रुपये खर्च हो चुके थे, लेकिन 128 साल पुराना सीसामऊ नाला जस का तस गिर रहा था। पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीएम योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के चलते अब अंग्रेजों के दाग से कानपुर को अजादी मिल गई है।

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