सेजल 12वीं के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ना चाहती थी। एडमीशन के लिए एंट्रेंस दिया और वहां भी टॉप कर दिया। सेजल का नाम पहली ही लिस्ट में था। लिस्ट में नाम देख पूरा परिवार खुश हो गया। परिवार की यह खुशी ज्यादा दिन नहीं रही। फीस जमा करने के लिए केवल दो दिन का वक्त मिला।
पिता करते हैं मजदूरी
सेजल अपने परिवार के साथ कांशीराम कॉलोनी में रहती है। पिता उमेश चौरसिया एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं। पूरा परिवार एक कमरे में गुजारा करता है। फीस 30 हजार रुपए थे। कई प्रयासों के बाद भी फीस का इंतजाम नहीं हो सका।
सेजल अपने परिवार के साथ कांशीराम कॉलोनी में रहती है। पिता उमेश चौरसिया एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं। पूरा परिवार एक कमरे में गुजारा करता है। फीस 30 हजार रुपए थे। कई प्रयासों के बाद भी फीस का इंतजाम नहीं हो सका।
उमेश चौरसिया ने बेटी की पढ़ाई के लिए फैक्ट्री के मैनेजर से मिले। बैंक में एजुकेशन लोन के लिए गए। इंतजार और प्रक्रिया ने पिता को थका दिया। पिता की हालत और टूटते सपने ने सेजल को मायूस कर दिया। इस पर सेजल ने कहा कि “हालात ने डीयू में पढ़ने नहीं दिया लेकिन हार नहीं मानूंगी”। सेजल ने पास के ही एक डिग्री कॉलेज में एडमीशन ले लिया है।
बेटियों के हाथ में जिला फिर भी बेटी मायूस
सेजल के इंटर पास होने पर जिलाधिकारी ने सम्मानित किया था। इसके बाद सेजल को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेडल और प्रमाण पत्र दिया था। जिले की डीएम नेहा जैन हैं। एसपी सुनीति और सीडीओ सौम्या पांडेय हैं। क्षेत्र की एसडीएम भावना सिंह हैं। सेजल के विधानसभा की विधायक प्रतिभा शुक्ला हैं। जिले के विकास की जिम्मेदारी बेटियों के पास होने के बावजूद एक बेटी मायूस रह गई।
सेजल के इंटर पास होने पर जिलाधिकारी ने सम्मानित किया था। इसके बाद सेजल को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेडल और प्रमाण पत्र दिया था। जिले की डीएम नेहा जैन हैं। एसपी सुनीति और सीडीओ सौम्या पांडेय हैं। क्षेत्र की एसडीएम भावना सिंह हैं। सेजल के विधानसभा की विधायक प्रतिभा शुक्ला हैं। जिले के विकास की जिम्मेदारी बेटियों के पास होने के बावजूद एक बेटी मायूस रह गई।