कौन था मोनू पहाड़ी
कानपुर. शहर के टॉप टेन में रहे तीसरे नंबर का बदमाश व शार्प शूटर व सुपारी किलर मेनू पहाड़ी (राशिद) की इटावा जेल के अंदर झड़प के दौरान मौत हो गई। पुलिस के रिकार्ड में मोस्ट वांटेड मोनू पहाड़ी की हिस्ट्रीशीट 17 साल की उम्र में खुल गई थी। मोनू दलेलपुरवा अनवरगंज में रहता था। उसके पिता नासिर अली की रिक्शा कम्पनी थी। उसकी दो भाई नाजिम अली और आशू पुलिस के डर से मुंबई में रहते हैं। उसकी मां शहनाज बेगम घरेलू महिला है। उसकी तीन बहने गुलनाज बेगम, शहनाज और गौशिया अविवाहित है। उसको मामा चकेरी निवासी शोएब, मो अहमद, मौसी, शमीम बानो, चाचा महफूज और पप्पू हैं।
2014 में एसटीएफ ने पकड़ा था
नौबस्ता थनाक्षेत्र स्थित 19 अगस्त 2014 को राशिद उर्फ मोनू नौबस्ता के ब्रह्मादेव मंदिर के पास होने की सूचना एसटीएफ को मिली थी। एसटीएफ के डिप्टी एसपी आलोक सिंह और इंस्पेक्टर सुशील कुमार सिंह के नेतृत्व में दो टीमें बनायी गई। 20 अगस्त 2014 की दोपहर एसटीएफ ने मुठभेड़ के बाद उसे एक घर से दबोच लिया। मोनू के पास से एसटीएफ को 32 बोर की विदेशी पिस्टल व चार कारतूस मिले थे। मोनू कानपुर कारागार में बंद था। पर वह जेल के अंदर से गैंग का संवालन करता था। मानू ने एक चमड़ा कारोबारी से रंगदारी मांगी, जिसके चलते उसे माती जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
17 साल की उम्र में खड़ा किया गैंग
मोनू पहाड़ी जब मात्र 17 साल का था, तब इसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। मोनू ने कुछ ही दिनों में अपना गैंग बना लिया था। उसकी हिस्ट्रीशीट के मुताबिक उसके गैंग में हीरामन का पुरवा में रहने वाले शफीक ढपाली का बेटा शरीफ ढपाली, पनकी साहब नगर निवासी पप्पू खटिक उर्फ संजय सोनकर, हीरामन का पुरवा का शानू चिकना उर्फ शानू वाईकर, मियां मुनक्कू, छोटे मिया का हाता का रेहान उर्फ गुड्डू, हीरामन पुरवा के आफाक सुनहरा और अखलाख, चमनगंज का कालू उर्फ कार्लोस, नाला रोड का नौशाद, शेरू, रईस बनारसी, बाबूपुरवा का बबुआ झाड़ूवाला, शाह आलम और शानू उर्फ मोटा थे।
रईस बनारसी था दाहिना हाथ
गैंग में पप्पू खटिक भाड़े पर हत्या, लूट, अपहरण और फिरौती वसूलता है। शानू चिकना गैंग के सदस्यों को गाड़ी और असलहे उपलब्ध कराता है, जबकि रेहान किसी भी सदस्य के जेल जाने पर उसकी जमानत का इंतजाम करता था। वहीं, मिया मुनक्कू, आफाक सुनहारा और अखलाख सुनहरा गैंग के सदस्यों को फरारी के समय छुपने का इन्तजाम करता था। मोनू का दाहिना हाथ रईस बनारसी था। मोनू के जेल जाने के बाद बनारसी गैंग की कमान संभाले हुए था, लेकिन बनारस में अपसी गैंगवार में उसकी भी मौत हो गई। मोनू पहाड़ी का गैंग इसके बाद बिखर गया।
दिनदहाड़े करता था हत्या
मोनू पहाड़ी दिनदहाड़े मर्डर करता था, ताकि उसकी दहशत शहर में फैल जाए और उसको रंगदारी मिलने लगे। उसने सबसे पहले डी-टू गैंग के सरगना से सुपारी लेकर हिस्ट्रीशीटर लाला हड्डी को दिनदहाड़े गोली मार दी थी। फिर मूलगंज चैराहे में सरेआम हसीन टुण्डा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मोनू ने स्मैक तस्कर से सुपारी लेकर भरी बाजार में चैरसिया की हत्या की थी। इतना ही नहीं मोनू अपनी प्रेमिका और गैंग के एक साथी को जुही में दिनदहाड़े गोलियों से फून दिया था। इसी के बाद मोनू पर इनाम 50 का रखा गया और शातिर को पकड़ने के लिए एसटीएफ को लगाया गया।
16 साल की उम्र में पहला मुकदमा
16 साल की उम्र में मोनू पहाड़ी को पुलिस ने मकान के विवाद में गिरफ्तार किया था। उसको बाल सुधार गृह में रखा गया था। जहां से वो कुछ दिनों बाद भाग गया और हिस्ट्रीशीटर इसरार पागल के साथ जुड़ गया। उसने इसरार पागल के तेवर और रसूख को देखकर उसी तरह का बड़ा अपराधी बनने का इरादा कर लिया। इसके बाद उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। कुछ दिनों बाद इसरार शहर छोड़कर गया, तो वो गैंग की कमान मोनू पहाड़ी को दे गया। बस यहीं से मोनू पहाड़ी अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। उसने जल्दी रुपए कमाने की हवस में सानू बॉस के साथ मिलकर भाड़े में हत्या करने लगा।