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वोट के लिए कीचड़ में कूदी कांग्रेसी उम्मीदवार, दूसरे कांग्रेसी तमाशा देखते रहे

locationकानपुरPublished: Oct 05, 2019 10:49:04 am

करिश्मा ने कीचड़ में चलाया फावड़ा, दूसरे कांग्रेसी दूर से फेंकते रहे मिट्टी

वोट के लिए कीचड़ में कूदी कांग्रेसी उम्मीदवार, दूसरे कांग्रेसी तमाशा देखते रहे

वोट के लिए कीचड़ में कूदी कांग्रेसी उम्मीदवार, दूसरे कांग्रेसी तमाशा देखते रहे

कानपुर। जनता तय करेगी कि गोविंदनगर का सिकंदर कौन बनेगा, लेकिन चुनाव जीतने के लिए नेताओं की जुगत चर्चा का विषय बनी है। भाजपा के सुरेंद्र मैथानी दल-बल के साथ सक्रिय हैं तो सपा के सम्राट भी सियासी चकल्लस में विरोधियों को उलझाए हैं। इसी दरम्यान प्रियंका गांधी की प्रिय और कांग्रेस उम्मीदवार करिश्मा ठाकुर ने जनता के बीच पैठ बनाने के लिए कीचड़ में कूदने का दांव चला, लेकिन साथी कांग्रेसियों के कारण पैंतरा फेल हो गया। दरअसल, बीते दिवस नमक फैक्ट्री के करीब पन्नेश्वर मंदिर से ब्रह्मदेव चौराहे के बीच ऐसी ही एक सियासी कसरत लोगों ने बड़े चाव से देखी।
बर्बाद सडक़ पर कीचड़ में उतरी करिश्मा, लेकिन कांग्रेसी देखते रहे तमाशा
रावतपुर में नमक फैक्ट्री चौराहे से मसवानपुर जाने वाली सड़क का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह ध्वस्त है। गहरे गड्ढों में पानी भरा रहता है, जिसे दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी सरकारी विभागों से लेकर भाजपा के सांसद और विधायक के ऊपर है। जलभराव और खराब सड़क को वोट बटोरने का जरिया देखकर शुक्रवार को अचानक कांग्रेस प्रत्याशी करिश्मा ठाकुर मौके पर पहुंच गईं। उन्होंने विशालकाय गड्ढे को भरने के लिए एक ट्राली मिट्टी मंगवाई और उसे गिरवाने के बाद खुद फावड़ा लेकर मिट्टी बराबर करने में जुट गईं। छात्र राजनीति से सीधे विधानसभा की राजनीति में उतरीं करिश्मा ने इस कोशिश में कीचड़ में घुसकर अपने कपड़े भी मैले कर डाले। लोगों का कहना है कि यह सियासी ड्रामा अब नहीं चलेगा, करिश्मा यह काम पानी में घुसे बगैर भी कर सकती थीं। बहरहाल उनकी कोशिश गंभीर नजर आती, अगर उनके सहयोगी भी उसमें शामिल होते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, दूसरे कांग्रेसी फावड़े आदि लेकर तमाशाई बने रहे। टोका गया तो फावड़ा व बेलचा लिए दूर से ही मिट्टी खोदने की कोशिश करते रहे। किसी दूसरे ने अपने कपड़ों पर दाग नहीं लगने दिया। इस सीन ने यह साफ बताया कि यह करिश्मा ने जो पसीना बहाया, वह जनता को राहत देने के लिए तो हरगिज नहीं। इस महीन कोशिश के पीछे झांकती सियासत चतुर सुजान जनता भांप नहीं पाई।
जन्म से राजनीतिक माहौल मिला है करिश्मा ठाकुर को
करिश्मा को जन्म से ही राजनीतिक माहौल मिला। उनके पिता राजेश सिंह क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर सरसौल विधानसभा और बसपा के टिकट पर कन्नौज सीट से लोकसभा का भी चुनाव लड़ा। करिश्मा ने 2013 में एनएसयूआई के समर्थन से दिल्ली छात्रसंघ का चुनाव लड़ा। एनएसयूआई की इकलौती विजेता प्रत्याशी के रूप में वह महासचिव चुनी गईं। वह छह साल तक दिल्ली विश्वविद्यालय की राजनीति में सक्रिय रहीं। इस दौरान उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की। छात्र राजनीति के बाद मुख्यधारा की राजनीति में यह उनका पहला कदम होगा। बहरहाल अपनी कोशिश के बारे में करिश्मा ठाकुर ने कहा केवल संगमरमर के पत्थरों पर पोछा लगाकर राजनीत चमकाने से काम नहीं चलता, बल्कि धरातल पर उतर कर आम जनमानस को हो रही समस्याओं का निराकरण करना चाहिए। सूट-बूट वाली सरकार कई निरर्थक प्रयास करती है परंतु असफल रहती है। करिश्मा ने कहा था कि पार्टी और प्रियंका गांधी के विश्वास पर खरा उतरने की कोशिश होगी।
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