क्या है पूरा मामला
शराब कारोबारी और भारतीय बैंकों के करीब नौ हज़ार करोड़ रुपये के बकाएदार विजय माल्या ने एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि 2016 में भारत छोड़ने से पहले वो वित्त मंत्री से मिले थे। माल्या लंदन के एक कोर्ट में प्रत्यर्पण मामले में सुनवाई के लिए आए थे। भारतीय एजेंसियों ने माल्या के प्रत्यर्पण की मांग की है। वेस्टमिंस्टर कोर्ट परिसर में माल्या ने एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, मैं भारत से जेनेवा एक पहले से तय मीटिंग के लिए गया था. जाने से पहले मैंने वित्त मंत्री से मुलाक़ात की थी। माल्या ने दावा किया यह पहले से तय मीटिंग थी और बैंकों के सेटलमेंट के बारे में फिर से पेशकश की था अरैर यही सच्चाई है।
वित्तमंत्री को दे देना चाहिए इस्तीफा
कांग्रेस नगर अध्यक्ष ने कहा कि अगर वित्तमंत्री बेदाग हैं तो उन्हें पहले अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के रिटायउर् जज से पूरे प्रकरण की जांच के लिए खुद आगे आना चाहिए। नगर अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कही कि साढ़े चार साल के दौरान मोदी सरकार बड़े उद्योगपतियों को खूब पैंसा बांटा और वो जनता के कर के पैसे को लेकर भाग गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्स्र कहते हैं कि मैं चाकूदार हूं और मेरे रहते एक पैसे का करप्शन नहीं हो सयकता। तो वो बताएं कि अरूण जेटली पर कब कार्रवाई करेंगे? कब राफेल की सही कीमत बताएंगे? उनके जवाबों का जतना बेसब्री से इंतजार कर रही है। झूठ की खेती ज्यादा दिन तक नहीं हो सकती। जनता 2019 के चुनाव में इनसे पाई-पाई वसूल करेगी।
जेटली ने कुछ इस तरह दिया जवाब
जेटली ने माल्या के बयान के बाद तत्काल सोशल मीडिया के जरिए बयान देते हुए लिखा कि यह तथ्यात्मक रूप से ग़लत है और यह सच को नहीं दर्शाता है। 2014 से मैंने कभी उन्हें मुलाकात का वक्त नहीं दिया है, ऐसे में मुझसे मिलने का सवाल ही नहीं उठता। हालांकि वो राज्यसभा के सदस्य थे और कभी-कभी सदन में भी आया करते थे। ऐसे में उस विशेषाधिकार का दुरुपयोग करते हुए जब मैं सदन का कार्यवाही के बाद अपने कमरे की ओर जा रहा था तो वो मेरी ओर आए और चलते चलते कहा था कि मैं कर्ज़ चुकता करने का एक ऑफ़र दे रहा हूं.। पर मैंने उनसे कहा था कि मुझसे बात करने का कोई फ़ायदा नहीं है, आपको बैंक को ऑफ़र देने चाहिए। मैंने उनके हाथ में पड़े कागज़ को लेने से भी इनकार कर दिया था।