आरबीआई के बाहर प्रदर्शन
नोटबंदी की दूसरी वर्षगांठ पर आज पूरे प्रदेश में कांग्रेसियों ने केन्द्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इसी क्रम में कानपुर महानगर कांग्रेस कमेटी द्वारा सैकड़ों से ज्यादा की संख्या में एकजुट होकर कांग्रेसियों ने नोटबन्दी के दो वर्ष पूरे होने के बाद इसे काले दिवस की बरसी रूप में मनाकर अपना विरोध जताया। पार्टी कार्यालय तिलक हाल से रिजर्व बैंक तक सैकड़ों की संख्या में कांग्रेसियों ने हाथों में पार्टी का झंडा और तख्तियां लेकर पैदल मार्च रिजर्व बैंक तक निकाला। रिजर्व बैंक पहुंचते ही पहले से ही मौजूद पुलिस बल ने रिजर्व बैंक गेट के बाहर बेरिकेटिंग कर दी। जिससे आक्रोशित कांग्रेसी अंदर जाने की कोशिश करने लगे जिस पर वह लोग गेट के बाहर ही जमीन पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी करने लगे। कुछ देर बाद ही नोटबन्दी से हुई चौपट अर्थव्यवस्था की अर्थी निकालकर उसका पुतला दहन भी किया।
काला अध्याय साबित हुआ कालाधान
शहर अध्यक्ष हर प्रकाश अग्निहोत्री ने बताया कि देश-विदेश में फैले कालेधन को वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2016 में नोटबन्दी का एलान किया था। लेकिन वह काला दिन आज काला अध्याय साबित हुआ है। जिसकी दूसरी पुण्यतिथि पर आज हम सभी ने नोटबन्दी का विरोध दर्ज कराया है और भगवान से प्रार्थना की है कि पीएम मोदी को सद्बुद्धि दे। देश के व्यापारी का व्यापार चौपट हो चुका है, व्यापारी त्रस्त है और नगदीकरण न होने के कारण व्यापारियों को उधार देने की नौबत आ पड़ी है। व्यापारियों को उधार सौदा बेंचना पड़ रहा है जिसकी वसूली असम्भव है। इस सरकार की जन विरोधी नीतियों का हम विरोध करते हैं।
अर्थव्यवस्था पर गहरा आघात
पूर्व विधायक व ग्रामीण जिलाध्यक्ष संजीव दरियाबादी ने कहा कि नोटबंदी से पूरी देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा आघात हुआ है। दिनों दिन अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है। कहा, देश में कैशलेस व्यवस्था शुरू हुई, लेकिन महज चार फीसदी इजाफा हुआ है। नोटबंदी के कारण किसान, युवा सभी वर्ग के लोग परेशान हैं। आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान आत्महत्या को विवश हो रहे हैं। केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए पूछा कि सरकार बताये कि अब तक कितने लोगों को रोजगार मिला है।
नोटबंदी के तुगलकी फरमान
पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्रा ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार जनता को संगठित तरीके से लूटने का काम कर रही है। कहा, नोटबंदी के तुगलकी फरमान से डेढ़ सौ लोगों की जान लाइन में लगने से चली गयी। जबकि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के फायदे के लिए 50 दिन मांगे थे पर आज तक यह नहीं बता पायें कि कितना कालाधन आया। कहा, नोटबंदी से न कालाधन वापस आया न आतंकवाद और न ही नक्सलवाद खत्म हुआ। ऐसे में प्रधानमंत्री को देश की जनता से माफी मांगना चाहिए।