script…और कल-कल कर बहने लगी पतित पावनी गंगा मैया | corona effect ganga becomes clean due to lockdown | Patrika News

…और कल-कल कर बहने लगी पतित पावनी गंगा मैया

locationकानपुरPublished: Apr 19, 2020 12:38:40 am

Submitted by:

Vinod Nigam

नदी को प्रदूषित करने वाले कल.कारखानों के बंद होने के कारण गंगा नदी में मिलने वाले दूषित जल का आना बंद है,, जिसके कारण जल हुआ निर्मल, अधिकारी भी गदगद।
 
 

...और कल-कल कर बहने लगी पतित पावनी गंगा मैया

…और कल-कल कर बहने लगी पतित पावनी गंगा मैया

कानपुर। कोरोना वायरस के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 मई तक देशभर में लॉकडाउन का ऐलान किया था। जिसके चलते महामारी के प्रसार पर रोक लगने के साथ ही प्रकृति पुराने रंग पर दिखने लगी है। अब कानपुर की आबोहवा बदल रही है। शहरवासी स्वच्छ हवा में सांस ले रहे हैं, तो वहीं गंगा नदी भी निर्मल हो गई हैं। कानपुर में गंगाजल में 70 से 80 फीसद का सुधार हुआ है।

सुधरी सेहत
एक माह पहले कानपुर की गिनती सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में होती थी। लेकिन लाॅकडाउन के चलते शहर की सेहत पूरी तरह से सुधर गई है। वहीं गंगा का जल भी पहले की तुलना में साफ हुआ है। जलकल के अधिकारियों की मानें तो छोटे उद्योग और टेनरियों के बंद होने से गंगा निर्मल हुई है। 3 मई तक चलने वाले लाॅकडाउन से गंगा के साथ ही प्रकृति में बड़ा बदलाव दिखेगा।

केमिकल का खर्च आधा
जलकल के सचिव आरबी राजपूत के मुताबिक लॉकडाउन से पहले जल शोधन करने के लिए सात से आठ टन फिटकरी खर्च हो रही थी। अब चार टन की ही जरूरत रह गई हैं। पहले क्लोरीन 12 सौ किलोग्राम तक खर्च करनी पड़ रही थी। अब सात सौ किलोग्राम की जरूरत रह गई है। घुलित ऑक्सीजन पहले पांच मिलीग्राम प्रति लीटर थी। (जरूरत चार मिलीग्राम प्रति लीटर होती है)। अब यह सात मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई है। कहते हैं, इससे जल ट्रीट करने में केमिकल का खर्च आधा रह गया है।

पूरी तरह से निर्मल हो जाएगा जल
गंगा पहरी वकील राजेंद्र कुमार ने बताया कि लाॅकडाउन का असर साफ तौर पर मां गंगा में देखने को मिल रहा है। गंगा भईया काफी स्वस्थ्य होती जा रही है क्योंकि इन दिनों औद्योगिक कचरा नहीं डंप हो रहा है। रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग में गंगा नदी का पानी 36 मॉनिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। कहते हैं कि 3 मई के बाद गंगा का जल पूरी तरह से निर्मल हो जाएगा।

अच्छी सेहत
गंगाबैराज के अधिकारियों के मुताबिक, मॉनीटरिंग स्टेशनों के ऑनलाइन पैमानों पर पानी में ऑक्सीजन घुलने की मात्रा प्रति लीटर 6 एमजी से अधिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 एमजी प्रति लीटर और कुल कोलीफार्म का स्तर 5000 प्रति 100 एमएल हो गया है। इसके अलावा पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है जो गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत को दर्शाता है।

इसके कारण गंगा के जल में सुधार
पर्यावरणविद प्रोफेसर अनूप सिंह ने बताया, लॉकडाउन के चलते आने वाले कुछ दिनों में गंगा के जल में और सुधार की पूरी उम्मीद है। बताया कि आर्गेनिक प्रदूषण अभी भी नदीं के पानी में घुल कर खत्म हो जाता है। लेकिन औद्योगिक इकाइयों से होने वाला रासायनिक कचरा घातक किस्म का प्रदूषण है जो नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता को खत्म कर देता है। लॉकडाउन के दौरान नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता में सुधार के कारण ही जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो