महामारी पर नियंत्रण करने के लिए इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कॉलेज प्राचार्य से बात की थी। जिसके बाद प्राचार्य डॉ. आरती लालचंदानी ने आईआईटी पहुंचकर निदेशक प्रो. अभय करंदीकर के साथ बैठक की। इस दौरान दोनों संस्थानों के प्रमुखों के बीच वैक्सीन पर साथ काम करने की सहमति बनी।
प्राचार्य प्रो. आरती लालचंदानी ने बताया कि बैठक में तय हुआ कि वैक्सीन तैयार करने के लिए विदेशों में उपयोग हो रहे फार्मूले पर काम होगा। इसमें मेडिकल कॉलेज में आने वाले संदिग्ध और संक्रमित तथा ठीक होने वाले मरीजों के थ्रोट एवं नेजल स्वाब के नमूने सुरक्षित कराए जाएंगे। इनके खून के नमूने भी लेंगे और प्लाज्मा, आरएनए और डीएनए सुरक्षित करने के लिए बायो बैंक बनाया जाएगा। इन्हीं से वैक्सीन तैयार की जाएगी।
कोरोना के मरीजों में एपिडेमियोलॉजी फैक्टर पर भी शोध होगा। इसमें देखा जाएगा कि मरीज किस क्षेत्र से हैं। वातावरण कैसा है और मरीजों में किस प्रकार की जटिलताएं पाई जा रही हैं। इसके लिए मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब, बायो केमिस्ट्री लैब और मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च यूनिट की मदद ली जाएगी। बैठक में आइआइटी के उप निदेशक प्रो. एस गणेश, बायो साइंस के डॉ. जयेंद्रन, मेडिकल कॉलेज के एमआरयू के नोडल अफसर डॉ. प्रशांत त्रिपाठी व माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुरैया खानम अंसारी मौजूद रहीं।
प्राचार्य ने बताया कि आईआईटी में एन-95 मास्क बनाए बनाए जा रहे हैं। निदेशक ने दो हजार मास्क देने की बात कही है जो जल्द ही मिल जाएंगे। प्राचार्य के मुताबिक आइआइटी में पर्सनल प्रोटक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) किट तैयार हो गई हैं। डीआरडीओ से अप्रूवल मिलते ही ऑर्डर दिया जाएगा। इससे मरीजों के इलाज में लगे पैरामेडिकल स्टाफ को सुविधा होगी।