दिल की धडक़न से पहचान
अगर कोरोना संक्रमित मरीज की पहचान जांच से पहले ही कर ली जाएगी तो इससे संक्रमण का खतरा कम होगा। इसे देखते हुए आईआईटी के वैज्ञानिकों की टीम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक के जरिए वायरस की पहचान करने में जुटी है। संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम इस तकनीक के जरिए दिल की धडक़नों के माध्यम से वायरस की पहचान करने के लिए शोध में जुटी है। इसके अलावा संस्थान के वैज्ञानिक कोरोना वायरस का एंटीडोज भी बनाने की कोशिश में जुटे हैं।
अगर कोरोना संक्रमित मरीज की पहचान जांच से पहले ही कर ली जाएगी तो इससे संक्रमण का खतरा कम होगा। इसे देखते हुए आईआईटी के वैज्ञानिकों की टीम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक के जरिए वायरस की पहचान करने में जुटी है। संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम इस तकनीक के जरिए दिल की धडक़नों के माध्यम से वायरस की पहचान करने के लिए शोध में जुटी है। इसके अलावा संस्थान के वैज्ञानिक कोरोना वायरस का एंटीडोज भी बनाने की कोशिश में जुटे हैं।
कोशिकाओं में प्रवेश का भेद खोलेंगे
वैज्ञानिकों की टीम कोरोना वायरस के इलाज के लिए जरूरत पडऩे वाले विभिन्न उपकरणों के साथ वैक्सीन बनाने पर भी रिसर्च कर रही है। संस्थान में पीपीई से लेकर पोर्टेबल वेंटीलेटर भी तैयार हो चुके हैं। अब एक ओर जहां वैज्ञानिकों की टीम कोरोना वायरस मानवीय कोशिकाओं में कैसे प्रवेश कर रहा है, इसका भेद जानने का प्रयास कर रहे हैं। इससे वैक्सीन बनाने में आसानी होगी। वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग भी विभिन्न तकनीक में हो रही है। इसके अलावा डिसइंफेक्टेड चैम्बर बनाने में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया गया है।
वैज्ञानिकों की टीम कोरोना वायरस के इलाज के लिए जरूरत पडऩे वाले विभिन्न उपकरणों के साथ वैक्सीन बनाने पर भी रिसर्च कर रही है। संस्थान में पीपीई से लेकर पोर्टेबल वेंटीलेटर भी तैयार हो चुके हैं। अब एक ओर जहां वैज्ञानिकों की टीम कोरोना वायरस मानवीय कोशिकाओं में कैसे प्रवेश कर रहा है, इसका भेद जानने का प्रयास कर रहे हैं। इससे वैक्सीन बनाने में आसानी होगी। वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग भी विभिन्न तकनीक में हो रही है। इसके अलावा डिसइंफेक्टेड चैम्बर बनाने में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया गया है।