दस साल बाद एक साथ रोटी खाएगा परिवार जनता कफ्र्यू का नजारा लेने के लिए पत्रिका टीम निकली तो लालबंगला के शैलेंद्र त्रिपाठी का परिवार अपने छज्जे पर लटका नजर आया। नीचे आने का आग्रह किया तो जनता कफ्र्यू का हवाला देकर विनम्र इंकार कर दिया। क्या करेंगे ? इस सवाल पर 19 सदस्यों वाले संयुक्त परिवार की वरिष्ठ सदस्य और शैलेंद्र की मां बोलीं कि दस साल बाद ऐसा मौका आया है कि समूचा परिवार घर पर रहेगा। ऐसे तो एक की छुट्टी किसी दिन और दूसरी की दूजे दिन। आज सभी लोग मिलकर भोजन बनाएंगे और साथ-साथ खाएंगे। घर की महिलाओं ने पुरुषों की टीम को कैरम और लूडो में हराने के लिए जुगत लगाई है। गांधीग्राम निवासी नीलिमा त्रिपाठी का परिवार भी घर की चाहरदीवारी के अंदर पिकनिक के मूड में दिखा। दूध लेने नहीं गए ? इस सवाल पर त्रिपाठी जी बोले कि कोरोना से जंग जीतना है, इसलिए सभी इंतजार कल ही कर लिए थे।
सब्जीमंडी में सन्नाटा पसरा, दाम भी आसमान पर जनता कफ्र्यू का असर सुबह गुलजार रहने वाली शहर की प्रमुख सब्जी मंडियों में जबरदस्त दिखा। अव्वल सभी मंडियों में चुनिंदा सब्जी विक्रेता पहुंचे, और जो पहुंचे थे वह सब्जी बेचने नही, बल्कि लोगों को लूटने आए थे। आलू का दाम बीस के बजाय चालीस रुपए किलो था, जबकि दस रुपए किलो में बिकने वाला टमाटर 35 रुपए में बिक रहा था। तमाम अपील के बावजूद इंतजाम करने में फिसड्डी लोगों के सामने सब्जीमंडी में खुद की जेब कटवाने के अलावा दूसरा चारा भी नहीं था। दूध और ब्रेड की कालाबाजारी नहीं हुई।
मार्निंग वॉकर छतों पर टहले, योगा टीवी के सामने जनता कफ्र्यू को कामयाब बनाने के लिए मार्निंग वॉकर भी नहीं निकले। कंपनी बाग (नानाराव पार्क), फूलबाग (गणेश उद्यान), नरेंद्रा ग्राउंड, मोतीझील, सीएसए ग्राउंड समेत तमाम अन्य छोटे-बड़े पार्कों के गेट ही नहीं खुले। सडक़ों पर हाथ-पैर झटकते हुए टहलने वालों ने भी नजाकत को समझते हुए अपने आशियानों की छतों पर ही वॉक किया। योगा क्लास में हाजिरी लगाने वाले रामादेवी निवासी रविशंकर शुक्ल जैसे सैकड़ों लोगों ने टीवी के सामने बैठकर योगाभ्यास किया।
गप्पबाजी के ठिकानों पर कफ्र्यू का असर दिखा दंगों के दौरान भी कानपुर के तमाम ऐसे ठिकाने हैं, जहां नुक्कड़ों में दुबककर गप्पबाजी और राजनीति को समझने-समझाने के पंडित जुबानी चकल्लस करने नजर आते थे। क्या घंटाघर और स्वरूपनगर का चौराहा। अशोकनगर में पप्पू की चाय वाली दुकान या बर्रा में सचान चौराहा और गोविंदनगर का नंदलाल-चावला मार्केट चौराहा। कनपुरिया बतकही के लिए विख्यात ऐसे तमाम ठिकानों पर रविवार यानी जनता कफ्र्यू के दिन अभूतपूर्व सन्नाटा दिखा।
ग्रामीण इलाकों में शहर से ज्यादा मुस्तैदी का नजारा यूं तो कोरोना से जंग जीतने के लिए चप्पा-चप्पा चौकन्ना है, लेकिन शहरी लोगों के मुकाबले ग्रामीण ज्यादा चौकस हैं। कानपुर देहात को उदाहरण के तौर पर लीजिए। रोज सुबह घर से निकलकर खेतों पर या दूसरे के घरों में काम करने वाले लोगों के कदम आज थम गए। जिनके परिवार का गुजर-बसर सडक़ों पर घूमकर मांगने-खाने से होता है। आज वही लौहपिटवा व सपेरे प्रजाति के लोग देश के मुखिया की अपील पर दरवाजे बंद कर घरों में ही ठहर गए हैं। सच तो यह है कि जिस तरह कोरोना की दहशत शहरों में ज्यादा है, उसी तरह जागरूकता के मामले में ग्रामीण क्षेत्र अव्वल है। पीएम मोदी की इस पहल का असर ग्रामीण क्षेत्रों ज्यादा दिख रहा है। सुबह से ही कस्बों व गांव में सन्नाटा दिख रहा है। सडक़ों पर वाहनों की रफ्तार थम गई है।
फर्रुखाबाद-कन्नौज में साइकिल सवार भी नही दिखे फर्रुखाबाद जिले में नोवल कोरोना वायरस को देखते हुए जनता कफ्र्यू का जबरदस्त असर दिखा। सार्वजनिक परिवहन पर रोक है, ऐसे में सडकों पर भीड़ कम होना लाजिमी है, लेकिन साइकिल सवार भी नदारद दिख रहे हैं। कभी जिन सडक़ों पर सुबह से लोगो की भीड़ दिखाई देती थी आज वहां सन्नाटा है। फर्रुखाबाद शहर के प्रमुख मंदिर पांडेश्वर नाथ,शीतला देवी मंदिर, गुडग़ांव देवी मंदिर सभी के कपाट बंद कर दिए गए है। इसी तरह इत्र नगरी कन्नौज में भी गौरीशंकर मंदिर, फूलमती मंदिर, क्षेमकली मंदिर, तिर्वा के अन्नपूर्णा मंदिर के पट शनिवार से बंद कर दिए गए हैं।
इटावा में जनता कफ्र्यू का असर, चंबल सफारी में तालाबंदी इटावा के एसएसपी चौराहे पर इक्का-दुक्का वाहन और लोग निकलते हुए दिख रहे है । इस चौराहे पर सैकड़ों की तादाद में लोगों की आवाजाही प्रतिदिन सुबह से ही देखी जाती रही है, लेकिन आज जनता कफ्र्यू का असर इस चौराहे पर भी खासी तादात में पड़ा है यहां लोगों ने स्वेच्छा से ना आ करके बता दिया है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के साथ में खड़े हुए दिख रहे हैं । इटावा के प्रमुख डॉ.राममनोहर लोहिया पार्क के मुख्य गेट पर ही आज बंदी का नोटिस चस्पा करने के साथ ताला भी जड़ दिया गया है । जिससे कोई भी पार्क के भीतर प्रवेश न कर सके। यह पार्क इटावा में कंपनी बाग पार्क के नाम से जाना जाता है । चंबल के बीहड़ों में स्थापित माने जाने वाले इटावा सफारी पार्क को वैसे तो 31 मार्च तक सफारी प्रशासन ने बंद कर दिया है लेकिन आज जनता कफ्र्यू को लेकर के सफारी प्रशासन ने विशेष प्रबंध किए हुए हैं सफारी प्रशासन ने सुबह 7 बजे से लेकर के रात में 9 बजे तक सफारी के मुख्य द्वार को पूरी तरीके से बंद किया हुआ है ।