मामला कानपुर देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत एक गांव का है। वर्ष 2009 में ऐसी घटना घटी किसकी लड़ाई लगभग 14 साल चली। 2009 में गांव के ही रहने वाली युवती का रावेंद्र ने अपहरण कर लिया था। इस संबंध में पीड़िता की मां चौबेपुर थाना में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोपी की तरफ से पीड़ित परिवार को धमकी मिल रही थी कि पैरवी न करें। पैरवी से रोकने के लिए आरोपी राजेंद्र व उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने बीते 18 जुलाई 2009 को पीड़िता के घर में घुसकर मारपीट की। शोर-शराबा सुनकर पड़ोसी भी मौके पर पहुंच गए। जिसके बाद हमलावर आरोपी मौके से भाग निकले।
पुलिस से शिकायत करने जा रहे थे रास्ते में हुआ हमला
घटना के संबंध में पीड़ित परिवार चौबेपुर पुलिस से शिकायत करने के लिए जा रहे थे कि रास्ते में एक बार फिर आरोपी दबंगों ने पीड़ित परिवार पर हमला बोल दिया। जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। जबकि अन्य कई घायल हो गए थे। इस संबंध में मृतक परिवार की तरफ से रामदयाल, उसका पुत्र धर्मेंद्र उर्फ पप्पू, राजू उर्फ राजीव, रामु उर्फ के साथ सलीम उर्फ गब्बर, हरिराम, रावेंद्र तहरीर देते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। आरोपी परिवार ने यहां सीबीसीआईडी से जांच कराने की मांग की। सीबीसीआईडी की जांच और अदालत में बहस के बाद यह निर्णय निकल कर आया।
सजा के साथ 11.32 लाख रुपए का जुर्माना भी लगा
बीते शुक्रवार को न्यायालय ने नामजद सभी अभियुक्तों पर दोष सिद्ध करते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस संबंध में जिला शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल व सीबीसीआईडी अभियोजन अधिकारी नागेश दीक्षित ने बताया कि अदालत ने उपरोक्त निर्णय में सभी सात आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है इसके साथ ही 11.32 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में 3 साल का अतिरिक्त कारावास काटना पड़ेगा।
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कानून से बचने के लिए कानून की पढ़ाई की
अदालत की लंबी सुनवाई का फायदा और कानूनी दांवपेच कानूनी दांवपेच सीखने के लिए रामु उर्फ रामेंद्र ने एलएलबी की पढ़ाई शुरू कर दी। सुनवाई के दौरान रामू ने वकालत पास की और माती स्थित जनपद न्यायालय में वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर दी। लेकिन कर्मों की सजा से बच नहीं पाया और अदालत ने रामू को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई।