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कर्रही पार्षद का चुनाव अवैध घोषित किया गया, दो साल बाद आया कोर्ट का फैसला

locationकानपुरPublished: Jan 19, 2020 12:38:13 pm

एक ही चुनाव निशान पर दो प्रत्याशियों का था दावा प्रचार करने वाली प्रत्याशी ने दाखिल की थी याचिका

कर्रही पार्षद का चुनाव अवैध घोषित किया गया, दो साल बाद आया कोर्ट का फैसला

कर्रही पार्षद का चुनाव अवैध घोषित किया गया, दो साल बाद आया कोर्ट का फैसला

कानपुर। चुनाव चिन्ह बदलने और चुनाव की जीत को लेकर शुरू की गई कानूनी लड़ाई में दो साल बाद आखिरकार फैसला आया। कोर्ट ने कर्रही वार्ड में पार्षद के चुनाव को अवैध करार दिया है। हालांकि चुनाव परिणाम को चुनौती देने वाली प्रत्याशी ने खुद को विजेता घोषित करने की मांग कोर्ट से की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया और चुनाव नतीजा शून्य घोषित कर दिया है।
२०१७ में हुए थे चुनाव
शहर में २२ नवम्बर २०१७ को हुए नगर निगम के चुनाव में बर्रा वार्ड-७० कर्रही से पार्षद पद पर चंदा देवी और चंद्रावती ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में चुनाव चिन्ह बदलने का मामला मतदान के दिन सामने आया था। तब चुनाव अधिकारियों ने मामला संभाल लिया, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद मामला कोर्ट पहुंच गया था।
क्या था मामला
पार्षद प्रत्याशी चंदादेवी का कहना था कि उन्हें घंटी चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया था। उन्होंने इसी चुनाव चिन्ह को लेकर प्रचार किया। पर चुनाव के एक दिन पहले जब ईवीएम तैयार होकर आयीं तब पता चला कि घंटी चुनाव चिन्ह के आगे उनकी प्रतिद्वंद्वी चंद्रावती का नाम है और उनके नाम के आगे खड़ाऊं चुनाव चिन्ह था। चंदादेवी ने कहा कि जब प्रचार घंटी के लिए किया है तो उन्हें खड़ाऊं पर वोट कैसे मिल सकता है।
डीएम ने दिया था भरोसा
इस मामले की शिकायत चंदादेवी ने चुनाव अधिकारियों से की तो कोई सही जवाब नहीं मिला। फिर वे डीएम से मिलीं और पूरी बात बताई। डीएम ने पूरी बात समझने के बाद चंदादेवी को भरोसा दिया कि घंटी के पक्ष में पडऩे वाले वोट उनके हिस्से में गिने जाएंगे। इस पर चंदादेवी मान गईं और मतदान कराया गया।
जीतने पर भी हार गईं चंदादेवी
मतगणना के बाद घंटी चुनाव निशान को ज्यादा मत मिले और उस निशान की प्रत्याशी जीत गईं। चंदादेवी को खुशी हुई कि मतदाताओं ने घंटी चुनाव निशान पर वोट देकर उन्हें जिताया, पर चुनाव अधिकारियों ने ईवीएम के आधार पर चंद्रावती को विजेता घोषित कर दिया। इस पर चंदादेवी ने चुनाव परिणाम को कोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट ने दिया फैसला
दो साल बाद इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया और चुनाव को अवैध घोषित किया। जिससे चंद्रावती की पार्षदी भी चली गई। मगर इससे चंदादेवी को कोई फायदा नहंी हुआ। उन्होंने तो यह याचिका इसलिए दाखिल की थी कि उन्हें विजेता घोषित किया जाए, पर कोर्ट ने इसे ही अवैध घोषित कर दिया, जिससे यह सीट फिर खाली हो गई।
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