शहर में २२ नवम्बर २०१७ को हुए नगर निगम के चुनाव में बर्रा वार्ड-७० कर्रही से पार्षद पद पर चंदा देवी और चंद्रावती ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में चुनाव चिन्ह बदलने का मामला मतदान के दिन सामने आया था। तब चुनाव अधिकारियों ने मामला संभाल लिया, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद मामला कोर्ट पहुंच गया था।
पार्षद प्रत्याशी चंदादेवी का कहना था कि उन्हें घंटी चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया था। उन्होंने इसी चुनाव चिन्ह को लेकर प्रचार किया। पर चुनाव के एक दिन पहले जब ईवीएम तैयार होकर आयीं तब पता चला कि घंटी चुनाव चिन्ह के आगे उनकी प्रतिद्वंद्वी चंद्रावती का नाम है और उनके नाम के आगे खड़ाऊं चुनाव चिन्ह था। चंदादेवी ने कहा कि जब प्रचार घंटी के लिए किया है तो उन्हें खड़ाऊं पर वोट कैसे मिल सकता है।
इस मामले की शिकायत चंदादेवी ने चुनाव अधिकारियों से की तो कोई सही जवाब नहीं मिला। फिर वे डीएम से मिलीं और पूरी बात बताई। डीएम ने पूरी बात समझने के बाद चंदादेवी को भरोसा दिया कि घंटी के पक्ष में पडऩे वाले वोट उनके हिस्से में गिने जाएंगे। इस पर चंदादेवी मान गईं और मतदान कराया गया।
मतगणना के बाद घंटी चुनाव निशान को ज्यादा मत मिले और उस निशान की प्रत्याशी जीत गईं। चंदादेवी को खुशी हुई कि मतदाताओं ने घंटी चुनाव निशान पर वोट देकर उन्हें जिताया, पर चुनाव अधिकारियों ने ईवीएम के आधार पर चंद्रावती को विजेता घोषित कर दिया। इस पर चंदादेवी ने चुनाव परिणाम को कोर्ट में चुनौती दी थी।
दो साल बाद इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया और चुनाव को अवैध घोषित किया। जिससे चंद्रावती की पार्षदी भी चली गई। मगर इससे चंदादेवी को कोई फायदा नहंी हुआ। उन्होंने तो यह याचिका इसलिए दाखिल की थी कि उन्हें विजेता घोषित किया जाए, पर कोर्ट ने इसे ही अवैध घोषित कर दिया, जिससे यह सीट फिर खाली हो गई।