रविवार को हुई थी मौत
मूलरूप से बलिया के रहने वाले 2014 बैच के आईपीएस अफसर ने अपने सरकारी आवास पर बुधवार को सल्फास खाकर सुसाइड का प्रयास किया था। उन्हें इलाज के लिए रीजेंसी लाया गया। यहां कानपुर के अलावा मुम्बई के डॉक्टर्स की देखरेख में पांच दिनों तक उनका इलाज किया गया। लेकिन जहर की मात्रा अधिक होने के चलते उन्हें बचाया नहीं जा सका और रविवार को आईपीएस ने अंतिम सांस ली। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया। सोमवार को आईपीएस के शव का अंतिम संस्कार लखनऊ में किया गया। इस दौरान आईपीएस के बड़े भाई ने सुरेंद्र की मौत का जिम्मेदार उनकी पत्नी रवीना को बताया। सुरेंद्र के बड़े भाई ने डॉक्टर रवीना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने की बात कही थी। साथ ही एसएसपी अनंत कुमार ने भी अपने तरीके से परिजनों को जांच का आश्वासन दिया था। लेकिन दो दिन बीत जाने के बाद जब पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वकील प्रमोद सक्सेना ने कोर्ट के जरिए आईपीएस को न्याय दिलाने की ठानी।
कोर्ट में एफआईआर दर्ज करने की दी अर्जी
वकील प्रमोज सक्सेना ने बताया कि हमने आईपीएस की मौत के बाद उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हमने एवीडेंस के तौर पर अखबरों की कटिंग के अलावा अन्य पुलिस-प्रशासिनक अधिकारियों के बयानों को आधार बनाकर कोर्ट में प्रर्थाना पत्र देकर अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें बड़ी एजेंसी से जांच कराए जाने की मांग की है। वकील ने बताया कि आईपीएस के सुसाइड मामले को कानपुर पुलिस दबाना चाहती है। वो बिना जांच के केस को रफा-दफा करने के प्रयास में लगी है। जबकि एक इमानदार अफसर ने सुसाइड क्यों किया इसका पुलिस को खुलाशा करना चाहिए।
एसएसपी के कार्यप्रणाली की शिकायत
व्कील ने कानपुर के एसएसपी अनंत देव की कार्यप्रणाली पर सवाल लगाते हुए उनके खिलाफ भी मामला दर्ज कर कोर्ट में पेश होने के लिए जज से कहा है। जिस पर 22 तारीख को संभवता सुनवाई के बाद फैसला आ सकता है। वकील ने बताया कि एसएसपी ने हाई-प्रोफाई सुसाइड केस पर एक्शन लेने के बजाए आईपीएस के सुसाइड नोट को अधार बनाकर जांच से हाथ पीछे खीच लिए। एसएसपी व कानपुर पुलिस किसी को बचाना चाहती है और इसी के चलते हमने एसएसपी को भी कोर्ट में हाजिर करने के लिए अर्जी लगाई है। वकील ने कहा कि बिना जांच के एसएसपी ने पूरे प्रकरण की फाइल एसपी क्राइम को दे दी। जबकि स्वरूप नगर पुलिस को इस प्रकरण की जांच करनी चाहिए थी।