ऐसे में अस्पताल के विशेषज्ञों ने लोगों को इस तरह के लक्षण दिखने पर कोरोना जांच बहुत जरूरी बताया है। न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल के नोडल अधिकारी प्रो. प्रेम सिंह के मुताबिक कोरोना का वायरस खून में मिलकर दिमाग तक पहुंच रहा है। यह दिमाग की महीन सी झिल्ली को तोड़कर नसों तक पहुंचने में कामयाब होने लगा है। वायरस के नसों तक पहुंचते ही रोगी को स्ट्रोक, फेसियल न्यूरोपैथी, भूलने की बीमारी जैसे लक्षण होने लगता है। फेसियल न्यूरोपैथी में रोगी को चेहरे के आंशिक लकवे की समस्या हो जाती है। यह समस्या युवाओं में ज्यादा मिल रही है। डॉक्टरों टीम इस विषय पर शोध के लिए जुट गई है। आइआइटी के विशेषज्ञों से भी मदद ली जा सकती है।
इन बारह के संक्रमैत मरीजों में पहला कानपुर बर्रा का 37 वर्षीय मरीज आया, जिसके सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी में तेज दर्द हुआ। तीन से चार दिन तक दवा खाने पर आराम नहीं मिला। फिर बुखार आया और चेहरे पर लकवा मारने जैसे लक्षण नजर आए। स्वजन उसे हैलट अस्पताल लाए, जहां कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। उसका इलाज चल रहा है। वहीं दूसरे मरीज बिरहाना रोड के 33 साल के युवक सात-आठ दिन पहले हैलट के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसे बार बार पेशाब जाने की समस्या हो गई। उसे रात में नींद भी नहीं आ रही है। डॉक्टरों ने जांच की तो न्यूरो की समस्या मिली। उसका इलाज शुरू हो गया है। डॉ. प्रेम सिंह का कहना है कि मास्क लगाकर शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करें। अगर ऐसा कोई लक्षण हो तो तत्काल जांच कराकर इलाज कराएं।