मृतक के परिजनों से कहा गया कि पहले बकाया बिल के 2.40 लाख रुपए जमा करने होगें, तभी शव दिया जाएगा। परिजन हाथ जोड़कर शव देने के लिए मिन्नतें करते रहे। लेकिन अस्पताल प्रबंधन नहीं पिघला। कृष्णा हॉस्पिटल ने जब शव नहीं दिया तो, मृतक के बेटे ने डीएम आलोक तिवारी से शव दिलाने के लिए गुहार लगाई। डीएम आलोक तिवारी ने एसीएम प्रथम आरपी वर्मा और एसीएमओ डॉ एपी मिश्रा को मौके पर भेजा। साथ ही पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए। एसीएम प्रथम ने मृतक का शव परिजनों को दिलवा दिया। इसके साथ ही एक घटना की जांच शुरू की गई।
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हॉस्पिटल ने फर्जी तरीके से लगाए कई चार्ज
एसीएम प्रथम और एसीएमओ ने जांच में पाया कि हॉस्पिटल ने 4,85,417 का बिल बनाया था। तीमादारों से 2.45 लाख रुपए जमा करा लिए गए थे। जांच में पाया कि हॉस्पिटल ने कई चार्ज फर्जी तरीके से लगाए थे। जबकि शासन स्तर पर निर्धारित दरों में पैथोलॉजी का भी चार्ज जुड़ा होता है। डीएम के आदेश पर एसीएमओ ने हॉस्पिटल के खिलाफ रेलबाजार थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। नौबस्ता स्थित कोविड स्टेट्स फैमली हॉस्पिटल पर डीएम के आदेश पर बीते 27 अप्रैल को एफआईआर दर्ज कराई गई थी। फैमिली अस्पताल ने एक मरीज का सात दिनों में 03.50 लाख का बिल बनाया था। तीमारदारों ने इसकी शिकायत आलाधिकारियों से की थी। डीएम ने इसकी जांच कराई थी, जिसमें अस्पताल दोषी पाया गया था। जब यह मामला डीएम के संज्ञान में आया तो, जांच के आदेश देते हुए शव परिजनों को दिलाया था।