1 जनवरी 2019 से 22 सितंबर तक थानों में दर्ज एफआईआर के मुताबिक करीब नौ माह में नौबस्ता थाने में सबसे ज्यादा अपराध हुए हैं। यहां पर इस साल अब तक 982 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। दूसरे नंबर पर चकेरी में 958 मुकदमे कल्याणपुर में 932, घाटमपुर में 823 और बर्रा थाने में 647 मुकदमे दर्ज हुए हैं। ये इलाके सबसे ज्यादा खतरनाक हैं। क्राइम चार्ट के आंकड़ों के अनुसार सुरक्षित थानाक्षेत्रों के मुकाबले यहां अपराध का ग्राफ करीब दस गुना से भी ज्यादा है। शहर के बाहरी इलाकों में हाईवे से लगे होने की वजह से अपराधी इसका सबसे ज्यादा फायदा उठाते हैं। वे वारदात को अंजाम देकर आसानी से फरार हो जाते हैं।
शहर के काकादेव, नवाबगंज, तिलकनगर, पांडु नगर, विकास नगर और आर्य नगर जैसे पॉश इलाको में खतरा बढ़ गया है। इन इलाकों में बंगले ज्यादा हैं और आबादी कम। इस कारण सड़कों पर दिन में भी लगभग सन्नाटा ही रहता है और रात में तो सन्नाटा और बढ़ जाता है। जिस कारण चेन लूट और छेडख़ानी जैसे अपराध आए दिन सामने आ रहे हैं। दक्षिण के किदवईनगर, गोविंदनगर और नौबस्ता इलाके का भी यही हाल है।
शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में अपराध कम हैं। इसके पीछे आबादी का ज्यादा होना भी एक कारण है। सड़क पर हमेशा आवाजाही रहती है और लगभग हर घर के चबूतरे या छज्जे पर कोई न कोई दिन भर से लेकर देर शाम तक बैठा ही मिलता है। ऐसे में अपराधी इन इलाकों में वारदात करने से कतराते हैं। उन्हें पहचाने और पकड़े जाने का डर बना रहता है।
इस साल जनवरी से लेकर अब तक नौबस्ता में ९८२, चकेरी में ९५८, कल्याणपुर में ९३२ और घाटमपुर में ८२३ वारदाते हुईं। जबकि बर्रा में ६४७, बिधनू में ५४९, बिल्हौर में ५०१, सचेंडी में ४००, पनकी में ३८७, चमनगंज में ३८०, महाराजपुर में ३२४, सजेती में ३१५, काकादेव में ३१३, रेलबाजार में २९६, बिठूर में २७४, बादशाहीनाका में ७८, सीसामऊ में ९५, कोहना में ९३, कैंट में ८७ और अर्मापुर में ३७ वारदातें अब तक हुई हैं।