जुलाई में मिलेगा अवतार
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बीज विभाग ने जुलाई माह में अवतार मूंगफली के बीज की बोआई करने की तैयारी कर ली है। नवंबर तक इसके बीज विकसित हो जाएंगे। किसान इनकी बोआई फरवरी में कर सकेंगे और जुलाई में फसल तैयार हो जाएगी। डायरेक्टर सीड एंड फॉर्म प्रो. सीएल मौर्या ने बताया कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को ग्रीष्मकालीन मूंगफली के दस क्विंटल बीजों की दरकार है। यह बीज सीएसए ही सरकार को मुहैया कराएगा। वहां से ये किसानों के खेतों तक पहुंचेंगे।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बीज विभाग ने जुलाई माह में अवतार मूंगफली के बीज की बोआई करने की तैयारी कर ली है। नवंबर तक इसके बीज विकसित हो जाएंगे। किसान इनकी बोआई फरवरी में कर सकेंगे और जुलाई में फसल तैयार हो जाएगी। डायरेक्टर सीड एंड फॉर्म प्रो. सीएल मौर्या ने बताया कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को ग्रीष्मकालीन मूंगफली के दस क्विंटल बीजों की दरकार है। यह बीज सीएसए ही सरकार को मुहैया कराएगा। वहां से ये किसानों के खेतों तक पहुंचेंगे।
रोगमुक्त प्रजाति
वैज्ञानिकों का दावा है कि मूंगफली की इस प्रजाति की खास बात यह है कि यह रोगमुक्त है। मूंगफली में अक्सर पर्ण चित्ती रोग लग जाता है। इसमें पत्तियों पर धब्बे बनने के कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं हो पाती है और पौधों में फलियां बहुत कम व छोटी होती हैं। ग्रीष्मकालीन मूंगफली की यह प्रजाति इस रोग से मुक्त है। इस पर जड़ सडऩ रोग व कली ऊतकक्षय विषाणु रोग का भी इस पर कोई असर नहीं पड़ता।
वैज्ञानिकों का दावा है कि मूंगफली की इस प्रजाति की खास बात यह है कि यह रोगमुक्त है। मूंगफली में अक्सर पर्ण चित्ती रोग लग जाता है। इसमें पत्तियों पर धब्बे बनने के कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं हो पाती है और पौधों में फलियां बहुत कम व छोटी होती हैं। ग्रीष्मकालीन मूंगफली की यह प्रजाति इस रोग से मुक्त है। इस पर जड़ सडऩ रोग व कली ऊतकक्षय विषाणु रोग का भी इस पर कोई असर नहीं पड़ता।
15 क्विंटल प्रति हेक्टयर उत्पादन
ग्रीष्मकालीन मूंगफली की यह प्रजाति औसत पैदावार देती है। परीक्षण में इसकी पैदावार 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आंकी गई है। इसकी बोआई के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है। इसकी खेती के लिए दोमट बलुई व हल्की दोमट भूमि अच्छी रहती है। इसकी खेती आलू, मटर, सब्जी मटर व राई की कटाई के बाद खाली भूमि में की जा सकती है।
ग्रीष्मकालीन मूंगफली की यह प्रजाति औसत पैदावार देती है। परीक्षण में इसकी पैदावार 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आंकी गई है। इसकी बोआई के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है। इसकी खेती के लिए दोमट बलुई व हल्की दोमट भूमि अच्छी रहती है। इसकी खेती आलू, मटर, सब्जी मटर व राई की कटाई के बाद खाली भूमि में की जा सकती है।