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अब हरी नहीं, लाल भिंडी खाइए, थायराइड और डायबिटीज जैसे रोग होंगे दूर

locationकानपुरPublished: Oct 19, 2019 11:39:26 am

चंद्रशेखर आजाद कृषि विवि में भिंडी की नई प्रजाति विकसित, मेले का आकर्षण बनी

अब हरी नहीं, लाल भिंडी खाइए, थायराइड और डायबिटीज जैसे रोग होंगे दूर

अब हरी नहीं, लाल भिंडी खाइए, थायराइड और डायबिटीज जैसे रोग होंगे दूर

कानपुर। भिंडी के शौकीन लोगों को अब थायराइड और मधुमेह का खतरा नहीं रहेगा। कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के शाक भाजी विभाग ने भिंडी की ऐसी प्रजाति विकसित की है जो थायराइड, ल्यूकोरिया व मधुमेह रोगियों को राहत देगी। सीएसए के किसान मेले में किसानों के लिए लाल भिंडी (आजाद कृष्णा) की प्रजाति आकर्षण का केंद्र रही। इस दौरान कुलपति प्रो. सुशील सोलोमन ने भी कृषि स्टॉल का भ्रमण करने के दौरान यह प्रजाति देखी।
१०० क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती पैदावार
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि आजाद कृष्णा भिंडी की नई प्रजाति की पैदावार 80 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। सीएसए ने अपने खेतों में उगाकर इसका परीक्षण किया है। डॉ. डीपी सिंह ने बताया कि इस खेती में किसानों को सौ फीसद उपज मिलती है। इसका बीज दस से 15 रुपये का होता है लेकिन सभी बीजों में रोगरहित अच्छी पैदावार होती है। पॉलीहाउस के लिए विकसित किए गए सब्जी के 60 से 70 हजार पौधे किसानों ने बागवानी के लिए खरीदे हैं।
सेहत के लिए फायदेमंद
संयुक्त निदेशक शोध डॉ. डीपी सिंह ने बताया कि बहुत कम किसानों को भिंडी की इस नई प्रजाति के बारे में जानकारी है। इसलिए किसान मेले में इसे देखने के लिए रखा गया है। उन्होंने बताया कि एंटीऑक्सीडेंट व एंथोसाइनिन होने के कारण यह स्वास्थ्य के लिए तो फायदेमंद होती ही है जबकि इसके सूखने के बाद गुड़ साफ करने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
पॉलीहाउस में खेती की बताई तकनीक
शाक सब्जी विभाग ने इसके अलावा हाईटेक नर्सरी का मॉडल भी बनाकर मेले में प्रस्तुत किया। इस मॉडल में पॉलीहाउस के जरिये हरी, लाल, पीली व नीली शिमला मिर्च की खेती करने की तकनीक बताई। इसके अलावा बैंगन, ब्रोंकली यानि हरी गोभी व टमाटर की ऐसी हाईब्रिड प्रजाति की पैदावार भी खेती की इस तकनीक के जरिए की जाती है।
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