आयरन और जिंक की कमी
वैज्ञानिक प्रो. विजय कुमार यादव के मुताबिक कुपोषण देश की नहीं बल्कि विश्व के विकासशील देशों की भी समस्या है। इससे सबसे ज्यादा महिलाएं, बच्चे प्रभावित हैं। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) भी इस पर चिंतित है। आयरन और जिंक की कमी भारत ही नहीं पूरे विश्व में है। यह सबसे आम पोषक तत्वों में से एक है।
वैज्ञानिक प्रो. विजय कुमार यादव के मुताबिक कुपोषण देश की नहीं बल्कि विश्व के विकासशील देशों की भी समस्या है। इससे सबसे ज्यादा महिलाएं, बच्चे प्रभावित हैं। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) भी इस पर चिंतित है। आयरन और जिंक की कमी भारत ही नहीं पूरे विश्व में है। यह सबसे आम पोषक तत्वों में से एक है।
पोषक तत्वों की जरूरत
आयरन और जिंक की शरीर में बेहद जरूरत होती है। आयरन और जिंक खून में लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने का काम करता है, इससे कोशिकाओं में ऑक्सीजन का बेहतर संचार होता है। मांसपेशियां मजबूत होने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
आयरन और जिंक की शरीर में बेहद जरूरत होती है। आयरन और जिंक खून में लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने का काम करता है, इससे कोशिकाओं में ऑक्सीजन का बेहतर संचार होता है। मांसपेशियां मजबूत होने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
बेहतर गेहूं से सुधरेगी सेहत
सीएसए यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का मानना है कि अनाज में सबसे अधिक खपत गेहूं की है। लोग इसे विभिन्न प्रोडक्ट के रूप में खा रहे हैं। इसलिए गेहूं को ही बेहतर बना दिया जाए तो सेहत ही खराब नहीं होगी। इसलिए वैज्ञानिक गेहूं की अनोखी प्रजाति को विकसित करने में जुटे हुए हैं। उनका मानना है कि नियमित डाइट में आयरन और जिंक समेत सूक्ष्म तत्वों की मात्रा बढ़ा दी जाए तो कुपोषण और एनीमिया (खून की कमी) से जंग जीती जा सकती है।
सीएसए यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का मानना है कि अनाज में सबसे अधिक खपत गेहूं की है। लोग इसे विभिन्न प्रोडक्ट के रूप में खा रहे हैं। इसलिए गेहूं को ही बेहतर बना दिया जाए तो सेहत ही खराब नहीं होगी। इसलिए वैज्ञानिक गेहूं की अनोखी प्रजाति को विकसित करने में जुटे हुए हैं। उनका मानना है कि नियमित डाइट में आयरन और जिंक समेत सूक्ष्म तत्वों की मात्रा बढ़ा दी जाए तो कुपोषण और एनीमिया (खून की कमी) से जंग जीती जा सकती है।