ग्रीन हाउस की तरह करता काम
यहां के वैज्ञानिकों ने पॉलीहाउस की जो तकनीक इस्तेमाल की है, वह इजराइल की तर्ज पर है। इसमें उन्नत प्रजाति की सब्जियां बेमौसम पैदा की जाती हैं। यह ग्रीनहाउस की तरह काम करता है। इसे आमतौर पर स्टील फ्रेम पर खड़ा किया जा रहा है, जिसे कवर करने के लिए पॉलीट्यूनेलाइन का उपयोग किया जा रहा है। इनमें मिट्टी के बेड तैयार किए गए हैं। वैज्ञानिकों ने मिट्टी के बेड से बैक्टीरिया, वायरस और निमेटोड के साथ कीटों को अलग किया है। यानी मिट्टी का ट्रीटमेंट किया गया है।
यहां के वैज्ञानिकों ने पॉलीहाउस की जो तकनीक इस्तेमाल की है, वह इजराइल की तर्ज पर है। इसमें उन्नत प्रजाति की सब्जियां बेमौसम पैदा की जाती हैं। यह ग्रीनहाउस की तरह काम करता है। इसे आमतौर पर स्टील फ्रेम पर खड़ा किया जा रहा है, जिसे कवर करने के लिए पॉलीट्यूनेलाइन का उपयोग किया जा रहा है। इनमें मिट्टी के बेड तैयार किए गए हैं। वैज्ञानिकों ने मिट्टी के बेड से बैक्टीरिया, वायरस और निमेटोड के साथ कीटों को अलग किया है। यानी मिट्टी का ट्रीटमेंट किया गया है।
किसानों को किया जाएगा प्रेरित
पॉलीहाउस में बेमौसम सब्जियों के लिए नर्सरी तैयार की जाएगी। यहां तैयार पौधे किसानों को दिए जाएंगे। साथ ही किसानों को पॉलीहाउस में खेती करने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। किसानों को यह बताया जाएगा कि पॉलीहाउस में किस तरह की मिट्टी का ट्रीटमेंट किस तरह किया जाना चाहिए? मिट्टी के हिसाब से जल निकासी और सिंचाई के तरीके कैसे होने चाहिए? जैविक कृषि पर अधिक जोर रहेगा। पॉलीहाउस से किसानों को लागत से दो गुना से अधिक लाभ मिल सकता है साथ ही उच्च क्वालिटी के सब्जी और फल मिल सकते हैं।
पॉलीहाउस में बेमौसम सब्जियों के लिए नर्सरी तैयार की जाएगी। यहां तैयार पौधे किसानों को दिए जाएंगे। साथ ही किसानों को पॉलीहाउस में खेती करने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। किसानों को यह बताया जाएगा कि पॉलीहाउस में किस तरह की मिट्टी का ट्रीटमेंट किस तरह किया जाना चाहिए? मिट्टी के हिसाब से जल निकासी और सिंचाई के तरीके कैसे होने चाहिए? जैविक कृषि पर अधिक जोर रहेगा। पॉलीहाउस से किसानों को लागत से दो गुना से अधिक लाभ मिल सकता है साथ ही उच्च क्वालिटी के सब्जी और फल मिल सकते हैं।
५० लाख की जरूरत
शासन से सीएसए के सेंटर फॉर एक्सीलेंस के लिए एक करोड़ रुपए की जगह अभी 50 लाख रुपए ही मिल पाए हैं। 50 लाख रुपए फंसे हैं। वित्तीय वर्ष समाप्ति पर है। अधिकारियों के मुताबिक खर्च करने के लिए नियम इतने पेचीदा हैं कि समय पर काम पूरा कर पाने में दिक्कत हो रही है। सीएसए के संयुक्त निदेशक डॉ. डीपी सिंह का कहना है कि पॉलीहाउस में पालक, लौकी, कद्दू, बैगन, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, मटर, टमाटर, भिंडी, टिंडा आदि लगभग एक दर्जन सब्जियों की अच्छी पैदावार हो सकती है। खीरा, ककड़ी भी पॉलीहाउस में खूब पैदा किए जा सकते हैं।