बताया गया है कि सीएसए के विशेषज्ञ किसानों के खेतों में मॉड्यूल स्थापित करेंगे, जिनसे फसलों की पैदावार बढ़ेगी, उनकी आय दोगुनी हो सकेगी. इस कार्य के लिए प्रदेश सरकार ने विश्वविद्यालय को नई जिम्मेदारी सौंपी है. सीएसए विश्वविद्यालय के अंतर्गत 23 जनपद आते हैं. इनमें कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, उन्नाव, फतेहपुर आदि जनपद शामिल हैं.
विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ किसान विज्ञान केंद्र (केवीके) के संग मिलकर कार्य करेंगे. सबसे पहले एक गांव में दो किसानों के खेतों को चयनित किया जाएगा. उनके यहां नवीन तकनीक विकसित की जाएगी. वहां छात्र-छात्राएं जाकर शोध कार्य भी करेंगे. पहले चरण में शिमला मिर्च, बैंगन, ब्रोकली सबसे पहले शिमला मिर्च, बैंगन, ब्रोकली, मशरूम आदि की फसल बोई जाएगी. उन्हें खेत के छोटे से हिस्से में तैयार किया जाएगा. इसके लिए किसान भी प्रशिक्षित होंगे. दूसरे चरण में अन्य सब्जियों को बोया जाएगा.
28-29 सितंबर को एग्रो इनपुट की प्रदर्शनी में कई कंपनियां आई थी. उनमें से कुछ का सरकार से पहले ही करार हो चुका है. वह तकनीक देने में किसानों को छूट देंगी. इसमें पॉलीहाउस, ड्रिप इरीगेशन सिस्टम, पेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम, हाईटेक गोदाम का निर्माण आदि शामिल हैं. सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संयुक्त निदेशक शोध प्रो. डीपी सिंह का कहना है कि किसानों को तकनीक सीधे उनके खेतों तक पहुंचाई जाएगी. उसके लिए विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ पूरा सहयोग करेंगे। किसानों के खेतों में मॉड्यूल विकसित किया जाएगा.