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स्नातक के पाठ्यक्रम में स्थानीय बोलियों का होगा समावेश, होगी एक मात्र हिंदी भाषा

locationकानपुरPublished: May 27, 2021 01:28:17 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

-स्नातक पाठ्यक्रम में स्थानीय बोलियों होंगी शामिल,-शासन को भेजा जाएगा प्रस्ताव

स्नातक के पाठ्यक्रम में स्थानीय बोलियों का होगा समावेश, होगी एक मात्र हिंदी भाषा

स्नातक के पाठ्यक्रम में स्थानीय बोलियों का होगा समावेश, होगी एक मात्र हिंदी भाषा

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. स्नातक शिक्षा (Graduation Education) में अब स्थानीय बोलियों और राष्ट्रीय ख्याति पाए साहित्यकारों की रचनाओं का अध्ययन भी कराया जाएगा। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (CSJM University) के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में विवि बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। सीएसजेएम के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों की बोलियों का पाठ्यक्रम के समावेश किया जाएगा, जिससे लोग क्षेत्रीय बोलियों का ज्ञान भी हासिल कर सकें। साथ ही साहित्यकारों के जीवन परिचय एवं रचनाओं के बारे में भी पढ़ाया जाएगा।
बैठक में हुए फैसले पर अब कार्यपरिषद की मुहर लगने के बाद यह प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। दरअसल नई शिक्षा नीति के तहत 30 फीसदी पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालयों को अपने स्तर से निर्धारित करना है। बैठक में हुई चर्चा के बाद कन्नौज क्षेत्र की कन्नौजी, उन्नाव की बैसवारी, अवधी, ब्रज समेत अन्य बोलियों को शामिल करने का फैसला लिया गया। साथ ही इन्हीं परिक्षेत्रो से जुड़े राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकारों व उनकी रचनाओं को भी पाठ्यक्रम में स्थान दिया जाएगा।
इस बैठक में हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य विषय को खत्म करके हिंदी को एकमात्र विषय के रूप में स्नातक में किया गया है। जबकि इस बदलाव को लेकर हिंदी शिक्षकों में नाराजगी व्याप्त है। उनके मुताबिक ऐसा करने से संपूर्ण साहित्य और भाषा छात्रों को समझाना कठिन होगा। डीजी कॉलेज अर्मापुर की प्राचार्य डॉ. गायत्री सिंह कहती हैं कि हिंदी भाषा और साहित्य का समावेश एक विषय में उचित नहीं है।

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