तस्करी का माल इधर से उधर करवाने में रेलवे ने तस्करों की मदद के लिए कस्टम से टकराव किया। पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति व महानंदा एक्सप्रेस से लाखों रुपये की विदेशी सुपाड़ी आने की सूचना पर कस्टम विभाग के अफसर छापा मारने पहुंचे तो ट्रेन की माल वाहक बोगी नहीं खोली गई। कस्टम की टीम ने बोगी खुलवाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन ट्रेन के ड्राइवर से लेकर अन्य स्टाफ और कानपुर सेंट्रल स्टेशन के अफसरों ने बोगी नहीं खुलने दी और ट्रेन को दिल्ली की ओर रवाना कर दिया।
कानपुर में नाकाम रही कस्टम ने हार नहीं मानी। दोनों ट्रेनें जब कानपुर स्टेशन से गुजर गईं तो कस्टम के अफसरों ने दिल्ली तक के रूट पर हर स्टेशन पर एक-एक टीम तैनात करा दी। इस वजह से माल किसी भी स्टेशन पर नहीं उतारा जा सका। आखिरकार दिल्ली में पहले से अलर्ट कस्टम की एक टीम ने दोनों ट्रेनों से करीब 50 लाख रुपये कीमत की तस्करी की सुपाड़ी बरामद की।
माल पकड़े जाने पर जब कस्टम अधिकारियों ने माल का ई-वे बिल, खरीद के बिल मांगे तो रेलवे के अफसर नहीं दिखा सके। इस पर कस्टम के अफसरों ने माल जब्त कर लिया। इसके बाद इस रूट से आनी वाली अन्य ट्रेनों की भी अफसरों ने सघन तलाशी ली। कस्टम के अफसरों ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी मंडल रेल प्रबंधक और रेलवे बोर्ड को लिखित में देने की बात कही है। कस्टम विभाग के डिप्टी कमिश्नर चंचल कुमार तिवारी ने बताया कि ट्रेनों के जरिये सिगरेट, विदेशी कपड़े और सुपाड़ी की तस्करी बढ़ी है। हर दूसरे तीसरे दिन माल आने की पुख्ता सूचनाएं मिल रही हैं, लेकिन रेलवे इसमें सहयोग नहीं कर रहा है।
रेलवे ने दी सफाई
इस मामले पर कानपुर सेंट्रल के डायरेक्टर डॉ. हिमांशु उपाध्याय का कहना है कि हम भी केंद्र सरकार के विभाग हैं। रेलवे के भी अपने नियम कायदे हैं। बुकिंग का माल बीच के किसी स्टेशन पर चेक नहीं किया जा सकता। कस्टम के अफसरों को बताया गया कि जहां पर माल उतरेगा वहीं पर इसकी जांच हो सकती है। दूसरी ओर डिप्टी कमिश्नर कस्टम चंचल कुमार तिवारी का कहना है कि जीएसएलआर बोगी में तस्करी के जरिये सुपाड़ी का परिवहन हो रहा था। सूचना सटीक थी। बावजूद इसके रेलवे के अफसरों ने बोगी नहीं खोली। पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है। रेलवे मदद नहीं करेगा तो तस्करी रोकना मुश्किल है। रेलवे मुख्यालय को इस घटनाक्रम से अवगत कराया जाएगा।