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एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोंक रही चाचा-भतीजे की ये जोड़ी

locationकानपुरPublished: Jun 12, 2019 07:05:55 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

डकैत ददुआ पूर्व सपा सांसद ने अखिलेश को छोड़ राहुल से मिलाया था हाथ, लोकसभा में कांग्रेस से लड़ा चुनाव, भतीजा वीरसिंह साइकिल पर सवार।

dadua brother balkumar patel joined the congress

एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोंक रही चाचा-भतीजे की ये जोड़ी

कानपुर। समाजवादी पार्टी के अंदर जहां शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच टकरार चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ कुख्यात डकैत ददुआ के परिवार में सियासी जंग तेज हो गई है। अखिलेश का साथ छोड़कर कांग्रेस से हाथ मिलाकर चित्रकूट-बांदा लोकसभा सीट से चुनाव के मैदान में उतरे पूर्व सांसद बालकुमार पटेल हार के बाद अब पाठा में पंजे को मजबूत करने के लिए उतर चुके हैं। उधर सपा के टिकट पर खजुराहो सीट से किस्मत आजमाने वाले वीरसिंह पटेल अपने चाचा के बजाए सपा प्रमुख की सियासत को मजबूत करने के लिए जुटे हैं। जानकारों का कहना है कि मानिकपुर विधानसभा सीट पर होने वाले चुनाव में चाचा-भतीजे एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोंकते नजर आ सकते हैं।

कौन हैं बालकुमार पटेल
बुंदेलखड में सपा के कद्दावर और कुर्मी नेता बालकुमार पटेल ने लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के चलते अखिलेश यादव का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। बाल कुमार पटेल बांदा-चित्रकूट इलाके में डकैत रहे ददुआ के भाई हैं। बांदा लोकसभा सीट से बाल कुमार पहले ही चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अखिलेश यादव ने ऐन वक्त पर बीजेपी से आए श्यामा चरण गुप्ता को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. इससे नाराज होकर उन्होंने सपा को अलविदा कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें शिकस्त उठानी पड़ी थी। बालकुमार पटेल 2009 में मिर्जापुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा ने उन्हें बांदा लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन मोदी लहर में वो चुनाव जीत नहीं सके।

बसपा से लड़ा था पहला चुनाव
बाल कुमार पटेल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बसपा से की थी। उन्होंने बसपा की टिकट से इलाहाबाद की मेजा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके। हालांकि बाद में वह सपा में शामिल हो गए. ददुआ के इनकाउंटर के बाद बाल कुमार मिर्जापुर से सांसद चुने गए थण्े। बाल कुमार पटेल उत्तर प्रदेश में कुर्मियों के बड़े नेता हैं। खासकर बुंदेलखंड और पूर्वांचल में कुर्मी समुदाय के बीच काफी उनका आधार है। सन 2003 में सपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं हुए।

सपा ने वीर सिंह को टिकट दिया
चित्रकूट सदर विधानसभा सीट से विधायक रहे वीर सिंह पटेल को सपा-बसपा गठबंधन ने बांदा जिले की सीमा से सटे खजुराहो (मप्र) से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया था। हलांकि वो चुनाव हार गए। मूल रूप से चित्रकूट निवासी पूर्व विधायक डाकू ददुआ के पुत्र हैं और उनके चाचा सपा के पूर्व सांसद बालकुमार पटेल ने कांग्रेस के साथ हैं। पूर्व सांसद बालकुमार पटेल ने कहा कि अब समाजवादी पार्टी के अंदर समाजवाद नहीं रहा। इसलिए हमनें कांग्रेस से हाथ मिला लिया। बड़े भाई पूरी जिंदगी पूंजीपतियों के खिलाफ लड़ते-लड़ते जान गवां दी। पर अब सपा में इन्हीं लोगों को बोलबाला है। कांग्रेस यदि उपचुनाव में मानिकपुर से टिकट देती है तो हम चुनाव लड़नें को तैयार हैं। सामने कौन होगा इसका फर्क नहीं पड़ेगा।

2005 बेटे को लड़वाया चुनाव
बुंदेलखंड की धरती में समानान्तर सरकार चलाने वाले दस्यु ददुआ की मौत 2007 में एक पुलिस मुठभेड़ में हो चुकी है, लेकिन अपने जिंदा रहते जितना राजनीतिक दखल उसने किया, वह किसी से छिपा नहीं है। चित्रकूट जनपद की सरहद से लगी 13 विधानसभा के विधायक और कम से कम चार सांसदों का उसकी मर्जी से चुना जाना बताया जाता रहा है। तीन दशक के दौरान दस्यु ददुआ कभी वामपंथ, तो कभी बसपा का समर्थक रहा, लेकिन मौत से कुछ दिन पूर्व वह समाजवादी पार्टी का समर्थक बन गया। दस्यु ददुआ ने पहली बार साल 2005 के जिला पंचायत चुनाव में सीधे तौर पर अपने कुनबे को राजनीति में प्रवेश दिलाया था। तब अपने बेटे वीर सिंह को अपनी धौंस के बल पर निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित करा दिया था। बस इसी पंचायत चुनाव से दस्यु ददुआ का कुनबा राजनीतिक चोला पहन लिया।

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