उसरी व्यापारी द्वारा इस दंगल का शुभारम्भ हुआ था रसूलाबाद क्षेत्र के उसरी गांव निवासी आढत व्यापारी व प्रधानपति उदय प्रताप सिंह ने करीब 2001 में एक छोटा सा दंगल अपनी देखरेख में आयोजित कराया था। जिसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गयी है कि आज देश विदेश के चैम्पियन पहलवान इस दंगल को चार चांद लगा रहे है। जहां लाखों रुपये की कुश्तियां कराई जाती है। जिसमें नेपाल सहित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, झांसी, महोबा, बुंदेलखंड सहित बाराबंकी सहित कई जनपदों से पहलवान दंगल की शोभा बढ़ाते है।
थापा ने हांक दिया दंगल श्रीगंगानगर के शमशेर को हराने के बाद नेपाल से आये 91 किलो के पहलवान थापा ने दंगल मैदान में खड़े होकर पहलवानों को चुनौती दे डाली, लेकिन हाथ मिलाने के लिये पहलवान हिम्मत नहीं जुटा सके। बाद में आये बुंदेलखंड के केसरी कहे जाने वाले बालमुकुंद से दर्शकों ने कुश्ती कराए जाने की मांग
की। जिस पर बालमुकुंद ने हामी भरी, लेकिन रेफरी की भूमिका निभा रहे बालमुकुंद से वह कुश्ती नहीं कराई जा सकी।
की। जिस पर बालमुकुंद ने हामी भरी, लेकिन रेफरी की भूमिका निभा रहे बालमुकुंद से वह कुश्ती नहीं कराई जा सकी।
1 लाख की कुश्ती विजेता रहे बुंदेलखंड के बालमुकुंद बने रेफरी पूरे दंगल में सबसे अहम ये रहा कि दंगल में सबसे तगड़े पहलवान और बुंदेलखंड की शान कहे जाने वाले बालमुकुंद ने रेफरी की भूमिका निभाई। जबकि पूर्व से विख्यात रहे बालमुकुंद के लिये बैठे दर्शकों ने हो हल्ला काटते हुये कुश्ती कराये जाने की मांग की, लेकिन बताया गया कि उनके टक्कर का पहलवान
न होने पर कुश्ती नहीं हो सकी।
न होने पर कुश्ती नहीं हो सकी।