आवास विकास-3 के अंबेडकरपुरम निवासी श्यामा द्विवेदी (70) अपनी मानसिक विक्षिपत बेटी अपर्णा के साथ रहती थीं। उनकी जीविका सिंचाई विभाग में क्लर्क रहे श्यामा के स्वर्गीय पति मदन लाल की पेंशन से चलती थी। जब मकान से दुर्गंध आई तो पड़ोसियों को कुछ शक हुआ। उन्होंने पुलिस को खबर दी। पुलिस जब मकान में दाखिल हुई तो अंदर का नजारा हैरान करने वाला था। कमरे में श्यामा देवी का शव पड़ा था और उसकी बेटी पास ही गुमसुम बैठी थी। जब पुलिस ने उससे पूछताछ की तो वह कोई जवाब नहीं दे पाई। पड़ोसियों का कहना है कि एक हफ्ते तक विक्षिप्त बेटी शव के साथ सोती रही।
कल्याणपुर इंस्पेक्टर का कहना है कि शायद विक्षिप्त बेटी को मां के मरने का पता नहीं चल सका। पुलिस के मुताबिक श्यामा और अपर्णा के घर में कभी भी किसी को आते-जाते नहीं देखा गया। एक सौतेला बेटा विजय लखनऊ में रहता था। वह भी बीमारी के चलते कभी यहां मिलने नहीं जाता था। मकान में अक्सर सन्नाटा ही रहता था लेकिन कभी-कभी श्यामा एकाएक आक्रोशित हो जाती थी। तब मकान से सन्नाटा तोड़ती चीखने की आवाजें आती थीं।
मां-बेटी किसी से भी घुलती-मिलती नहीं थीं। कभी किसी से बात नहीं करती थीं लेकिन मोहल्ले के लोग अक्सर मकान के गेट पर पर खाना लाकर रख देते थे। मां की मौत के बाद भी अपर्णा इसी खाने से गुजारा करती थी। काउंसलर सीमा जैन ने कहा कि मां के शव के साथ सात दिनों तक विक्षिप्त बेटी के रहने की घटना दुखद है। यह हमारे समाज के बदलते परिवेश को दर्शाती है।