माइंस से निपटने के लिए कानपुर के रक्षा उद्यमी और आईआईटियन मयंक श्रीवास्तव ने बारूदी सुरंगों से जवानों की हिफाजत करने वाले वाहन तैयार किए हैं। माइंस के धमाकों और एके 47 की गोलियों से इन वाहनों में बैठे जवान पूर्णतया सुरक्षित रहेंगे। एक वाहन की लागत एक करोड़ रुपए बताई गई है। हालांकि सेना ने भी 12 बुलेटप्रूफ वाहनों के आर्डर दिए हैं। मलवां स्थित इकाई में फिलहाल सालाना 40-50 ब्लास्ट प्रूफ वाहन बनेंगे। ये विश्व के आधुनिकतम ब्लास्ट प्रूफ वाहन होंगे।
रक्षा उद्यमी मयंक श्रीवास्तव ने बताया कि बारूदी सुरंग तीर की रफ्तार से बिल्कुल सीधी फटती है। इससे टारगेट में आने वाला वाहन आसमान की तरफ हवा में उछलता है। जब माइंस प्रोटेक्टिव वेहिकिल बारूदी सुरंग के ऊपर से गुजरता है तो विस्फोट को दो हिस्सों में बांट कर 45 डिग्री में मोड़ देता है। इस तरह वाहन को टुकड़ों में बदलने की उसकी ताकत केवल वाहन को दो फुट उछालने की रह जाती है। एनसीएफडी के युवा निदेशक मृदुल और मुदित श्रीवास्तव ने बताया कि इन वाहनों को खास जर्मन मशीनों से तैयार किया गया है। वाहन को रन-फ्लैट टायर टेक्नोलॉजी सिस्टम से लैस किया जाएगा। कार का टायर भी पंचर हो जाए तो वाहन मीलों दौड़ सकेगा।