बीजेपी के चलते बदले नेताओं के स्वर
डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा अटल अस्थि कलश यात्रा में शामिल होने के लिए कानपुर पहुंचे। डिप्टी सीएम बिठूर जाकर ब्रम्हवर्त घाट में अस्थियों को विर्जसित करने के बाद बीजपी नेता पन्ना लाल ताम्बें के निधन के बाद उनके आवास गए। यहां वो दिवगंत बीजेपी नेता के परिजनों से मुलाकात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इसी दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान डिटी सीएम ने कहा कि सुना है अखिलेश यादव कम्बोडिया की तर्ज पर अपने गृहनगर इटावा में भगवान विष्णु के मंदिर का निर्माण करवाने जा रहे हैं। चलो श्रीराम भक्तों पर गोलियां चलवाने देर से ही सही पर भगवान श्रीराम के चरणों में आ गए। अखिलेश ऐसे ही मंदिर निर्माण करवाते रहे हैं और उन्हें भगवान श्रीराम सदबुद्धि देते रहें। डिप्टी सीएम ने कहा कि बीजेपी ने देश के दलों और नेताओं को बदलने पर मजबूर कर दिया है। अब उन्हें लगता है कि भगवान श्रीराम के बिना सत्ता नहीं मिल सकती। इसी के चलते चोला बलद कर कोई जनेऊ धारण कर रहा है तो अखिलेश मंदिर निर्माण करने में जुट गए हैं।
कोर्ट य आपसी सहमति से बनेंगा मंदिर
डिप्टी सीएम ने अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण पर कहा कि बीजेपी पहले ही अपना रूख साफ कर चुकी है। मंदिर का निर्माण कोर्ट के निर्णय आपसी सहमति के ही होगा। विप़क्षी दल इस मुद्दे को तूल देकर सिफ खुद को राजनीति में जिंदा रखने की कोशिश में लगे हैं। भगवान श्रीराम करोड़ों लोगों के दिल में बसते हैं और हमें यकीन है कि जल्द ही मंदिर निर्माण का रास्ता निकलने वाला है। अब ज्यादा दिनों तक रामलाला त्रिपाल में नहीं रहेंगे। वो भव्य मंदिर के अंदर विराजमान होंगे। डिप्टी सीएम ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के लोग भी अब भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए समर्थन पर उतर आएं हैं। कुछ नेताओं के चलते काम पर रूकावट आ रही है। पर अखिलेश और राहुल की तरह श्रीराम उन्हें भी सदबुद्धि देंगे।
जो पढ़ेगा वही आगें बढ़ेगा
डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि नकल विहीन परीक्षा होगी, इसके लिए सरकार सख्त से सख्त कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि जो परीक्षा केंद्र मानकों को पूरा नहीं करेंगे उन्हें ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। पिछली सरकारों में सेंटरों की बोली लगती थी लेकिन भाजपा सरकार में जो पढ़ेगा वही आगे बढ़ेगा। नकल और भ्रष्टाचार के खात्में के लिए योगी सरकार कटिबद्ध है। हम इसे रोकने के लिए कई तरीके से रणनीति बना रहे हैं। कुछ हद तक सफलता भी मिली है। इस बार छात्र छात्राओं के 7.50 लाख कम पंजीयन होने पर उनका कहना था कि पूर्व की सरकारों में छात्र-छात्राएं चार-चार फार्म भरते थे। मौजूदा समय में आधार कार्ड लगाए जाने से चार फार्म नहीं डाल पा रहे हैं। यही कारण है कि इस बार छात्र-छात्राओं की संख्या कम है।