कानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेना के जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए दिवाली उनके संघ मनाते हैं। सेना के लिए बेतहर हथियार और सुविधा के लिए करोड़़ों रूपए मुहैया कराते हैं। वहीं सब कोई जवान आंतकियों से लोहा लेते हुए शहीद होता है तो यूपी के सीएम उसके घर जाकर मुआवजे के साथ मदद देकर उनके साथ कंघे से कंधा मिलाकर चलने की बात करते हैं, लेकिन यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या शहीद के परिजनों से बात करना तो दूर अपने पास भी नहीं आने देते। ऐसा ही एक मामला 3 मई को सामने जब डिप्टी सीएम घाटमपुर स्थित छांजा गांव में दलित बेवा के घर चौपाल लगाने के लिए कानपुर पहुंचे। यहां अफसरों के साथ बैठक कर वह घाटमपुर जाने के लिए निकले ही थे कि कारगिल शहीद बलवंत सिंह की बेटी यादव आ धमकी। रीना ने डिप्टी सीएम को अपना शिकायत पत्र देने के साथ ही हिफ्ट्रीशीटर की प्रताड़ना की कहानी बयां करने लगी। डिप्टी सीएम ने शहीद की बेटी की बात सुनने के बजाए उसे मौके से भगा दिया। वह रोती-बिलखती हुई पुलिस-प्रशासन के अफसरों के साथ पैर पकड़ कर न्याय की गुहार लगाती रही, पर उसकी किसी ने नहीं सुनी।
क्या है पूरा मामलाकानपुर देहात के भोगनीपुर के बिहार गांव निवासी रीना यादव के पिता कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे। उस वक्त सरकार और प्रशासन ने शहीद के परिजनों को मुआवजे के साथ हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। लेकिन साल दर साल बीतते गए पर शहीद के परिजनों का ख्याल हमारे देश के नेताओं को नहीं आया। रीना यादव ने बताया कि 2014 में हमारी जमीन पर सुरेश चन्द्र यादव नाम के हिस्ट्रीशीटर ने जबरन कब्जा कर लिया। हमने डीएम, एसपी, कमिश्नर, आईजी, डीआईजी और उस वक्त के सीएम
अखिलेश यादव को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई। लेकिन किसी ने हमारी सुनवाई नहीं की। रिटायर्ड सैनिकों की युनियन के पास हम अपनी शिकायत को लेकर गए, जहां से हमें कुछ हद तक इंसाफ की उम्मीद जगी। लेकिन सुरेश चंद्र यादव की सपा सरकार में अच्छा रसूख था, जिसके चलते यूनियन के कईबार हस्ताक्षेप के बाद जिला प्रशासन ने हिस्ट्रीशीटर मौन धारण किए हुए बैठा रहा।
सीएम योगी के चलते जगी थी आसशहीद की बेटी ने बताया कि करीब दस बीघे खेत में सुरेंश चंद्र कब्जा किए हुए है और जब भी हमने विरोध किया तो मां के साथ हमें जान से मारने की धमकी देता। 2017 में यूपी में सीएम योगी ने सत्ता संभाली तो हमें न्याय की आस बढ़ी। भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले से कईबार शिकायत की, पर आश्वासन के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगा। गांववालों ने हमें बताया कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या 4 मई को कानपुर आएंगे और घाटमपुर के छांजा गांव में चौपाल लगाएंगे। तुम उनसे मिलकर अपनी शिकायत दर्ज कराओ। इसी के चलते मैं सुबह अपनी मां के साथ कानपुर आ गई। डिप्टी सीएम कई कार्यक्रमों में व्यस्थ रहे और जब वह घाटमपुर के लिए निकलने वाले थे, तब उनसे मिलने के लिए पहुंच गई।
उम्मीदों पर फिरा पानीरीना यादव ने बताया कि जब मैं डिप्टी सीएम से मिलने के लिए आगे बढ़ी तो पुलिसवालों ने मुझे रोकना चाहा पर मैं उनसे भिड़ गई और यूपी की सरकार के पास जाकर हाथ जोड़कर खड़ी हो गई। मैने सीएम से हिस्ट्रीशीटर से जमीन छुड़वाए जाने की फरियाद की, लेकिन उन्होंने मुझे जमकर डांट लगा दी और पुलिस से कहकर बाहर करवा दिया। डिप्टी सीएम का यह चेहरा देख मेरी उम्मीदों पर पानी फिर गया। पीड़िता ने कहा कि वह पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाएगी। साथ सीएम योगी से मिलने लखनऊ भी जाऊंगी। फिर भी मेरी जमीन नहीं मिलती तो सीएम आवास के बाहर आत्मदाह कर लूंगी। पीड़िता ने बताया कि डिप्टी सीएम की फटकार के बाद यह ऐहसास हो गया कि देश तो बदल रहा पर भारत के नेता नहीं बदले। सत्ता के लिए वह वादे तो खूब करते हैं पर कुर्सी मिलत ही वह प्रजा से किए सारे वादे भूल जाते हैं।
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