बीस वर्षीय युवती में हुई पुष्टि दरअसल पिछले दिनों एक 20 वर्षीय युवती शरीर पर लाल चकत्तों का इलाज कराने हैलट अस्पताल पहुंची थी। इस युवती की बीमारी के लक्षण डेरियर से मिलने पर तीस दिनों तक डाक्टरों ने शोध किया। डाक्टरों ने निष्कर्ष निकाला कि यह बीमारी कोई सामान्य चर्म रोग नहीं बल्कि डेरियर ही है। डाक्टरों ने पहले इस बीमारी को स्किन कैंसर मानकर इलाज शुरू किया था। प्रारंभिक जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि युवती को कैंसर नहीं हुआ है। इसके बाद डायग्नोसिस शुरू होने पर पता चला की युवती को डेरियर बीमारी हुई है।
अनुवांशिक रूप से फैलती है बीमारी हैलट अस्पताल के डाक्टरों के इस शोध को विश्वस्तरीय रिसर्च जर्नल ने छापने के लिए स्वीकार कर लिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस बीमारी से पीड़ित मरीज के सीने, गर्दन, पीठ, पेट और कान के निकट काले और लाल दाने निकल आते हैं। ये दाने कभी-कभी फफोलों में बदल जाते हैं और पूरे शरीर में फ़ैल जाते हैं। इस बीमारी को अनुवांशिक बीमारी माना जाता है। यह बीमारी 16 से 30 वर्ष की आयु में अचानक उभरती है। जानकर बताते हैं कि इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। पैथोलॉजी विभाग के हेड प्रोफेसर महेंद्र सिंह कहते हैं कि जिस युवती में डेरियर की पुष्टि हुई है, उसके पिता को भी ऐसी बीमारी थी।