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चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की रिसर्च, बिस्कुट-चाकलेट और चिक्की नहीं बढ़ेगा शुगर

locationकानपुरPublished: Jan 25, 2019 03:47:43 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की रिसर्च, बिस्कुट-चाकलेट और चिक्की नहीं बढ़ेगा शुगर

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चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की रिसर्च, बिस्कुट-चाकलेट और चिक्की नहीं बढ़ेगा शुगर

कानपुर. तेजी से बदलती जीवनशैली, तनाव, डिप्रेशन और चिंता ने तमाम बीमारियों को जन्म दिया है और उन्ही में से एक गंभीर बीमारी है डायबिटीज जिसे मधुमेह या आम भाषा में शुगर की बीमारी भी कहा जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है जो सिर्फ बड़ों को ही नहीं बच्‍चों को भी तेजी से अपना शिकार बना रही है। डायबिटीज की गिरफ्त में आते ही खान-पान बदलने लगता है। शंकाएं भी कम नहीं होतीं। कोई कहता है कि फल और चावल खूब खाएं तो कोई मीठा जैसे बिस्कुट-चॉकलेट से बचने की सलाह देता है। पर अब डायबिटीज रोगियों को मीठा खाने में अतिरिक्त सावधानी नहीं बरतनी होगी। वह खूब मीठा खाएं फिर भी उनकी डायबिटीज स्थिर रहेगी। सुनने में आपको यह खबर चौंका दें लेकिन सीएसए कृषि विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर ने अपने शोध से यह सच कर दिखाया है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान महाविद्यालय के फूड साइंस एंड न्यूट्रीशन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सीमा सोनकर ने इस पर शोध किया है। एक साल के रिसर्च में उन्होंने मीठी तुलसी की पत्तियों से बेसन के लड्डू, बिस्कुट, चॉकलेट, चिक्की व बंद बनाए हैं, जो मिठास के बावजूद मधुमेह को नियंत्रित रखते हैं। इसमें कैलोरी जीरो प्रतिशत होती है और शक्कर की तुलना में मिठास 25 से 30 फीसद अधिक होती है। इन उत्पादों का उन्होंने मधुमेह रोगियों पर परीक्षण भी किया है।
प्रयोगशाला में किए गए परीक्षण में यह पाया गया कि मीठी तुलसी में कई ऐसे आवश्यक खनिज हैं जो शरीर को लाभ पहुंचाते हैं। इसमें चीनी की तरह कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बिल्कुल नहीं होती। शोध कार्य के लिए स्टेविया की पत्ती मुहैया कराने वाले सीएसए के भूमि संरक्षण एवं जल प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर डा. मुनीष गंगवार ने बताया कि मीठी तुलसी की एक पत्ती ही एक कप चाय को पर्याप्त मीठा कर सकती है।
जल्द ही आम लोगों तक पहुंचाने की तैयारी

असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सीमा सोनकर ने बताया कि स्टेविया से बने पदार्थों का परीक्षण 30 से 60 वर्ष की उम्र के मधुमेह रोगियों पर किया गया। इन्हें बेसन के लड्डू, बंद, चिक्की, चाय और बिस्कुट खिलाए गए। इसके बाद उनका रक्त ग्लूकोज (डायबिटीज) टेस्ट लिया गया। लगातार तीन दिन के परीक्षण में यह बिल्कुल ही स्थिर रहा। परीक्षण में 30 से 40 साल की उम्र के पांच, 40 से 50 वर्ष की उम्र के 13 व 50 से 60 वर्ष की उम्र के 14 मरीज शामिल थे। सीएसए विवि के कुलपति प्रो. सुशील सोलोमन कहते हैं कि स्टेविया की पत्ती से उत्पाद बनाने के लिए सीएसए ने काम करना शुरू कर दिया है। इसे आम आदमी तक पहुंचाए जाने की तैयारी की जा रही है।
स्टेविया पत्ती के गुण

स्टीविया जिसे मधुरगुणा के नाम से भी जाना जाता है। इसमें डायबिटीज को दूर करने के गुण होते है। स्टेविया नाम की जड़ी बूटी चीनी का स्थान ले सकती है और खास बात ये कि इसे घर की बगिया में भी उगाया जा सकता है। यह शून्य कैलोरी स्वीटनर है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इसे हर जगह चीनी के बदले इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे तैयार उत्पाद न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि दिल के रोग और मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए भी फायदेमंद हैं। स्टीविया न केवल शुगर बल्कि ब्लड प्रेशर, हाईपरटेंशन, दांतों, वजन कम करने, गैस, पेट की जलन, त्‍वचा रोग और सुंदरता बढ़ाने के लिए भी उपयोगी होती है। यही नहीं इसके पौधे में कई औषधीय व जीवाणुरोधी गुण भी होते हैं।
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