कुलपति ने बताया कि मोबाइल टावर का प्रभाव 30 मीटर की ऊंचाई के टावर से नीचे आते हुए 100 गुना तक कम हो जाता है, लेकिन मोबाइल फोन हर समय साथ रखना ज्यादा खतरनाक होता है। इसे सिर के पास रखकर सोना तो सबसे ज्यादा हानिकारक होता है। इससे याददाश्त जाने का खतरा रहता है और चिड़चिड़ापन होने लगता है। दो दिवसीय मनुष्य जीवन में मोबाइल व टॉवर के उपयोग से होने वाले प्रभाव विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में बढ़ रहे मोबाइल उपयोग और उससे होने वाले खतरे के बारे में आगाह किया गया।
एचबीटीयू के इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियर्स विभाग व राजकीय गर्ल्स इंजीनियरिंग कॉलेज अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वेबिनार का शुभारंभ अजमेर के प्राचार्य डा. जितेंद्र कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि दिन प्रतिदिन बढ़ रहे मोबाइल का उपयोग खतरनाक है। मनुष्य उसका गुलाम होता जा रहा है। कीनोट स्पीकर एचबीटीयू के प्रति कुलपति प्रो. मनोज शुक्ला ने कहा कि रेडिएशन या विकिरण का असर सीधे तौर पर मनुष्य जीवन पर पड़ता है। इसलिए मोबाइल फोन से दूरी बनाकर चले। वेबिनार में सऊदी अरब, ईराक, कुवैक और अमेरिका समेत पूरी दुनिया की 210 फैकल्टी व रिसर्च स्कॉलर थे।
कुलपति प्रो. मनोज शुक्ला के अनुसार कई जीवनशैली में कई आसान बदलाव कर हम मोबाइल के रेडिएशन से बच सकते हैं। इसलिए घर पर या आफिस में मोबाइल को शरीर से दूर रखें और जेब से निकालकर टेबल पर रख दें। इस दौरान बार-बार बिना जरूरत के फोन न छुएं। सबसे खास बात यह कि फोन को सिर के पास नहीं, बल्कि पैर के पास रखकर सोएं, इससे याददाश्त सुरक्षित रहेगी। गर्भवती महिलाएं तो मोबाइल का उपयोग बिल्कुल न करें। घर पर मोबाइल की बजाए टीवी से कनेक्ट करके बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई कराएं और मोबाइल से सीधे बात करने की बजाए ब्लूटूथ व ईयर फोन से बातचीत करें तो ज्यादा सुरक्षित रहेगा। यह भी ध्यान रखें कि शर्ट की ऊपर की जेब में मोबाइल फोन को न रखें, इससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।