हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश शासन ने ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह ने जिलाधिकारियों को धार्मिक स्थलों पर प्रयोग होने वाले लाउड स्पीकारों के सर्वे का निर्देश दिया था। इसके तहत जिले लाउडस्पीकर सर्वे को लेकर कवायद तेज है। प्रशासनिक लोगों ने सभी धार्मिक स्थलों के सलाहकारों को नियम के बारे में बता दिया है जिसमें नियम तोड़ने पर पांच वर्ष कारावास सार्वजनिक स्थानों पर लगे लाउड स्पीकर का शोर 10 डेसीबल से अधिक नहीं होगा। निजी स्थानों पर लाउडस्पीकर का शोर पांच डेसीबल से ज्यादा नहीं होगा। अगर कोई व्यक्ति नियम के विपरीत लाउड स्पीकर बजाता है तो उसके विरुद्ध पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी। ऐसे व्यक्ति को पांच वर्ष तक के कारावास एवं एक लाख रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों सजाएं एक साथ हो सकती हैं।
अनुमति लेकर लाउडस्पीकर बजाने में कोई हर्ज नहीं है मुफ्ती मुजीब उर रहमान कासमी का कहना है कि अनुमति लेकर लाउडस्पीकर बजाने में कोई हर्ज नहीं है। सभी को हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करना चाहिए। इस आदेश के क्रियान्वयन में पक्षपात नहीं होना चाहिए।
सही कदम है बालाजी मंदिर अकबरपुर के महंत राजेन्द्र कुमार शर्मा के अनुसार हाईकोर्ट का धार्मिक स्थलों से ध्वनि विस्तारक यंत्रों को हटवाने का आदेश न्यायोचित व विलंब से उठाया गया सही कदम है। निर्धारित मानक के अनुसार ही लाउडस्पीकर बजने चाहिए। हम हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के तहत मामला दर्ज किया जाएगा कार्यवाहक जिलाधिकारी (एडीएम फाइनेंस) कानपुर देहात विद्याशंकर सिंह ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार बिना अनुमति की कोई भी लाउडस्पीकर नहीं बजाएगा अगर कोई बिना अनुमति के लाउडस्पीकर बजाता पाया गया तो उसके विरुद्ध पर्यावरण प्रदूषण के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।