scriptकानून के डर से शरई अदालतों में अब नहीं आते तलाक के मामले | Divorce cases not coming in Shari courts | Patrika News

कानून के डर से शरई अदालतों में अब नहीं आते तलाक के मामले

locationकानपुरPublished: Jul 09, 2019 01:44:45 pm

कानून बनने की प्रक्रिया के दौरान ही लोगों में दिख रहा सजा का डरअब तलाक की नौबत आने पर घर में ही बैठकर निपटा लेते मामला

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कानून के डर से शरई अदालतों में अब नहीं आते तलाक के मामले

कानपुर। ऐसा बदलाव पहली बार देखने को मिल रहा है कि शरई अदालतों में तलाक के मसले आना बंद हो गए। जबकि अभी तक दारुल कजाओं और शरई अदालतों में तलाक के मामले सबसे अधिक आते रहे। शरई अदालतों में आने वाले सभी मामलों में ७० फीसदी तलाक के होते थे। अब यह स्थिति शून्य पर पहुंच गई है।
कानून का डर
भले ही तीन तलाक का कानून अभी न बन पाया हो, लेकिन प्रक्रिया जरूर चल रही है और इसी का खौफ है कि तीन तलाक के मामले सामने आना बंद हो गए। जबकि पहले तलाक आम बात हो चुकी थी। शादी के बाद जब मन होता था तो शौहर तलाक दे देता था और शरई अदालतों में मामला पहुंचता था, जिसके बाद तलाक की प्रक्रिया शुरू होती थी।
मामूली बात पर भी होता था तलाक
हिंदू परिवारों में विवाह के बाद तलाक बहुत मुश्किल होता है और इसकी प्रक्रिया भी काफी लंबी है, पर मुस्लिम परिवारों में तलाक आम हो चला था। हैरत की बात तो यह है कि इसके पीछे कोई ठोस कारण बताना भी जरूरी नहीं समझा जाता। तलाक के ८० फीसदी मामलों में शरई अदालतों के नोटिस का वर पक्ष जवाब तक नहीं देता था। शौहर को दूसरा कोई पसंद भर आ जाए तो पहली बीबी को तलाक दे देते थे। कई मामलों में तो शादी के साल भर में ही तलाक दे दिया जाता था।
अब आपस में सुलझा रहे मामले
महिला शहर काजी डॉ. हिना जहीर नकवी का कहना है कि जब से तीन तलाक के संबंध में कानून की प्रक्रिया शुरू हुई है, तब से तलाक के मसले आना बंद ही हो गए। अब लोग ऐसी स्थिति में आपस में बैठकर मामले सुलझा लेते हैं और तलाक तक नौबत ही नहीं आती। ऑल इंडिया सुन्नी उलेमा काउंसिल के जनरल सेक्रेटरी हाजी मो. सलीस का कहना है कि मुस्लिम अब जागरूक हो गए हैं।
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