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मरीज के खून से तैयार की गठिया रोग की सटीक दवा

locationकानपुरPublished: Jun 06, 2019 12:45:00 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

कानपुर मेडिकल कॉलेज के दॉठरों ले गठिया मर्ज की बनाई दवा, 200 मरीजों के खून से तैयार किया इंजैक्शन और इलाज के बाद पहले की तरह दौड़ लगाने लगे रोगी।

doctors invent treatment of joint pain from patient blood

मरीज के खून से तैयार की गठिया रोग की सटीक दवा

कानपुर। देश व प्रदेश में गठिया यानि जोड़ों के दर्द नामक बीमारी से सैकड़ों लोग पीड़ित हैं। सटीक इलाज नहीं होने के बाद मरीज वैद्य व हकीम के पास जाकर इलाज करवाते हैं फिर से रोग जस के तस बना रहता है। कानपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने इन्हीं मरीजों के रक्त से इंजेक्शन तैयार की है। पेन क्लीनिक में सफल परीक्षण के बाद करीब 90 फीसद मरीजों को राहत मिली है और वह पहले की दौडऩे लगे हैं।

सफल परीक्षण
सरकारी व प्राईवेट अस्पतालों में पिछले पांच सालों से गठिया रोग के मरीजों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। कई ऐसे हैंए जिनके घुटने के जोड़ पूरी तरह खराब हो चुके थे। चलने.फिरने से लाचार लोग व्हील चेयर पर आते थे। ऐसे में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज एनस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने इस बीमारी का सटीक इलाज खोज निकाला है। इन्हीं मरीजों के खून से गठिया के दर्द की दवा इजाज की है। मेडिकल कॉलेज के पेन क्लीनिक में अब तक 200 से अधिक मरीजों पर सफल परीक्षण हो चुका है। अधिकतर मरीज पूरी तरह से स्वस्थ होकर पहले की तरह दौड़ लगा रहे हैं।

क्या है गठिया रोग
एनस्थीसिया विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अपूर्व अग्रवाल बताते हैं जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है। रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्दए अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती हैए इसलिए इस रोग को गठिया कहते हैं। यह कई तरह का होती हैए जैसे.एक्यूटए आस्टियोए रूमेटाइटए गाउट आदि।

ऐसे किया सफल परीक्षण
एनस्थीसिया विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अपूर्व अग्रवाल के मुतातिक खून अव्यव प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा ;पीआरपीद्ध पर विभिन्न स्तर पर अध्ययन चल रहे हैंए जिसके बेहतर रिजल्ट मिले हैं इसलिए प्रयोग के तौर पर गठिया रोगियों पर इस्तेमाल कियाए जिसके बेहतर रिजल्ट मिले हैं। डॉक्टर अग्रवाल बतरते हैं कि अध्ययन में पेन क्लीनिक में आए चार.पांच वर्षों से गठिया से बेहाल मरीजों का रक्त लेकर पीआरपी तैयार कराया। फिर इंजेक्शन के जरिये पीआरपी घुटने में पहुंचाया। दो.तीन बार लगाने पर ही गठिया के दर्द से राहत मिली।

फिर घुटनें में लगाया जाता इंजेक्शन
प्रोफेसर के मुताबिक गठिया के दर्द से पीड़ित मरीज के शरीर से 30 एमएल रक्त लेकर उससे पीआरपी निकाला जाता है। इस पीआरपी का इंजेक्शन घुटने में लगाते हैं। तीन माह के अंतराल में पीआरपी के दो से तीन इंजेक्शन लगाए जाते हैं। पीआरपी का इंजेक्शन लगाने से घुटने की सतह पर चिकनाई आने से दर्द से राहत मिल जाती है। अग्रवाल बताते हैं किए 200 से अधिक गठिया के मरीजों पर पीआरपी का परीक्षण कर चुके हैं। इसमें 90 फीसद मरीजों को दर्द से पूरी तरह राहत मिल गई।

घुटना प्रत्यारोपण की जरूरत नहीं
डॉक्टर अग्रवाल कहते हैं किए ऐसे मरीज जिन्हें आर्थोपेडिक सर्जन ने घुटना प्रत्यारोपण की सलाह दी थी। उन्हें घुटना प्रत्यारोपण कराने की जरूरत ही नहीं है। वो हैलट आएं और जांच के बाद यहां पर उकना निशल्क में इलाज किया जाएगा। डॉक्टर अग्रवाल ने बताया कि गठिया महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को होता है। यह पुरुषों को 75 की उम्र के बाद होता है। महिलाओं में यह मेनोपॉज के बाद होता है। शोध में महिलाओं की अपेक्षा पुरूष इस बीमारी से ज्यादा ग्रसित पाए गए।

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