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बाबा ने हाथ में बांधा था सुरक्षा कवच, मुन्ना बजरंगी देता रहा मौत को मात

locationकानपुरPublished: Jul 21, 2018 01:44:14 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

उसके सहयोगी ने खोला रहा राज, जहानाबाद स्थित बाबा की मजार पर टेका था माथा, गोलियां लगने के बाद जिंदा हो गया था डॉन

don bajrangi defeated death many times before this bagpat jail attack

बाबा ने हाथ में बांधा था सुरक्षा कवच, मुन्ना बजरंगी देता रहा मौत को मात

कानपुर। पूर्वान्चल का सुपारी किलर मुन्ना बजरंगी की पिछले दिनों जेल के अंदर हत्या कर दी गई। आरोपी पकड़ा गया और देश व प्रदेश में डॉन के किस्से आज भी लोग सुनते और सुनाते हैं। अपराध की दुनिया में कई साल रहने के बाद जेल से बाहर आए नूर हसन उर्फ नूरा जो कानपुर व फतेहपुर जिले का नामी बदमाश हुआ करता था। उसके खिलाफ पांच दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे, अधिकतर में वो बरी हो गया है और मुम्बई में कपड़े की दुकान चलाता है। नूर हसन पांच दिन पहले बर्रा स्थित अपने घर आए और मुन्ना बजरंगी की वो बातें बताई, जिनके बारे में कुछ लोग ही जानते हैं नूर हसन ने बताया कि जहानाबाद स्थित नून नदी के पास सैयद बाबा की मजार है, जो करीब पांच सौ साल पुरानी है। मुन्ना भागकर जहानाबाद के नोनारा गांव आया और हम दोनों मजार पर गए। मजार की देखरेख करने वाले बाबा ने हमारे हाथों में ताबीज बांधी थी। बाबा ने कहा था कि जब तक यह सुरक्षा कवच तुम्मारे साथ रहेगा, तब तक गोली तो दूर की बात यमराज भी पास नहीं भेटकेंगे।

…पर बचता रहा मुन्ना बजरंगी
माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी लोगों की हत्या करने में जरा भी देर नहीं करता था, लेकिन उसे अपनी जान बहुत प्यारी थी। कल्याण सिंह की सरकार यूपी में थी। बड़े-बड़े अपराधियों के खात्में के लिए एसटीएफ उतर चुकी थी। श्रीप्रकाश शुक्ला सहित कई नामी डॉन पुलिस की गोली का शिकार हुए, पर मुन्ना कईबार मौत को मात देकर बाहर निकल आया। इसके पीछे भी अहम रहस्य छिपा है। मुन्ना बजरंगी मुख्तार गैंग के साथ काम करता था। तभी उसकी मुलाकात फतेहपुर और कानपुर के नामी बदमाश नूर हसन उर्फ नूरा निचासी नोनरा से हुई। मुन्ना बजरंगी तो अपराध की दुनिया में पैर पसार रहा था, पर नूरा 90 के दशक में दो जिलों की पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था। नूरा का जहानाबाद के बाद पुलिस से आमना-सामना हुआ। मुठभेड़ में नूरा गैग के चार बदमाश मारे गए पर नूरा बच निकलने में कामयाब रहा। बताया जाता है कि नूरा के ऊपर पुलिस ताबड़तोड फायरिंग कर रही थी, लेकिन एक भी गोली उसे छू तक नहीं सकी।

मुन्ना को हुआ यकीन और पहुंच गया मजार
जहानाबाद स्थित नून नदी के पास सैयद बाबा की मजार है जो सैकड़ों साल पुरानी है। उस वक्त वहां पर एक बाबा मजार की रखवाली करते थे। नूरा उन्हें अपना गुरू मानता था और उन्होंने उसके दहिने हाथ पर ताबीज बांधी थी, जिसके चलते उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। मुन्ना को लेकर नूरा मजार पर गया और बाबा मिलवाया। नूरा कहते हैं कि बाबा ने मुन्ना से कहा था कि जब तक नारी से दूरी बनाए रखोगे तब तक ताबीज तुम्हारी हिफाजत करेगी। मुन्ना ने बाबा की बात मानी और उसे भी ताबीज रूपी यंत्र मिला। जिसके चलते जहर का इंजेक्शन और आधा दर्जन गोलियां लगने के बाद भी उसकी मौत नहीं हुई। नूरा बताते हैं कि मुन्ना की गिरफ्तारी के बाद जेल में पूरी तरह से अपने को महफूज समझने लगा और हो सकता है कि वो ताबीज उसने उतार दी हो और यही मौत का कारण बनी।

मर कर जिंदा हो गया डॉन
11 सितंबर 1998 को दिल्ली से हरियाणा जाते समय समयबादली थाना क्षेत्र में मुन्ना की पुलिस से मुठभेड़ हुई थी। मुन्ना को 6 गोलियां लगीं। पुलिस ने उसे मृत घोषित कर दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल भेज दिया था। दिल्ली से बनारस तक उसकी मौत की खबर भी पहुंच गई। अस्पताल पहुंचते ही उसके शातिर दिमाग का अहसास हुआ। उसने मीडिया के सामने आंखें खोल दी थीं। तत्काल इलाज शुरू हुआ। वाराणसी से पहुंचे एक पूर्व सभासद और मुन्ना की पत्नी ने उसके इलाज पर पानी की तरह पैसा बहाया, जिसका नतीजा था कि छह गोलियां खाने के बाद भी वह जिंदा बच निकला। मुन्ना के बचने के बाद पुलिस को यकीन नहीं हुआ और इसी के बाद वो जेल से बाहर आया और पुलिस के साथ वो कई सालों तक खेल खेलता रहा। मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को गोली मार कर हत्या कर दी और फिर वो पूर्वान्चल का डॉन बन बया।

तीस हजारी कोर्ट परिसर में भी हमला
यूपी के बागपत जेल में कुख्यात डॉन मुन्ना बजरंगी इस बार मौत को मात नहीं दे सका। उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। इससे पहले वह कई बार मौत को गच्चा दे चुका था। एक बार पेशी के दौरान भी उस पर जानलेवा हमला हुआ था। इससे वह बच निकला था। यहीं नहीं बजरंगी को जहर वाला इंजेक्शन देकर भी मारने की कोशिश हुई थी। इससे वह बेहोश हो गया था लेकिन तब भी बच निकला था। इसके अलावा जौनपुर में मुन्ना की भिड़न्त कृष्णानंद राय के गुर्गो से हो गई। मुन्ना चार पहिया वाहन में अकेले था। उसी दौरान उस पर जानलेवा हमला कर दिया गया। मुन्ना चलती हुई गाड़ी से कूद गया, वहीं शूटर कार का पीछा करते रहे। कार के पलटने के बाद कृष्णानंद राय के गुर्गो ने कार पर फिर फायर किए, लेकिन उसके अंदर बजरंगी नहीं मिला। वह जंगल में छिप गया और सुबह किसी तरह से जान बचा कर वहां से निकलने में कामयाब रहा।

जुर्म की दुनिया में पहला कदम
यूपी के जौनपुर में जन्मे प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी को हथियार रखने का बड़ा शौक था। वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा। वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया। 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। उसके मुंह खून लग चुका था. इसके बाद उसने जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखाया। उसके बाद उसने कई लोगों की जान ली। दावा है कि मुन्ना बजरंगी ने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 से ज्यादा हत्यायएं की है।

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