2016 में परीक्षा में बैठा था बजरंगी
मुन्ना बजरंगी कक्षा पांच तक की पढ़ाई किए हुए था। गयाराम की दुनिया में दौलत कमाने के बाद उसका हिसाब-किताब रखने के लिए कुछ गुर्गे पाल रखे थे, लेकिन अनपढ़ होने के चलते उसके लोग चूना लगाते रहे। इसी के कारण उसने दूसरी शादी पढ़ी-लिखी महिला से की और फिर वो पत्नी ने पूरा कारोबार संभाल लिया। झांसी जेल में बंदी के दौरान मुन्ना ने 2016 में इलाहाबाद बोर्ड से हाईस्कूल परीक्षा में बैठने के लिए दाखिला लिया। माफिया सरगना का सेंटर बांदा जेल में पड़ा था। हर पेपर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मुन्ना को पुलिस बांदा कारागार परीक्षा दिलाने के लिए लाती थी। मुन्ना को जेल से लाने और ले जाने के साथ उसकी सुरक्षा पर सरकार ने लाखों खर्च किए। बांदा जेल में तैनात रहे सुरक्षाकर्मी ने बताया कि माफिया डॉन परीक्षा के दौरान बहुत शांत रहता था और पेपर हल करने के बाद कॉपी देकर चुपचाप झांसी के लिए निकल पड़ता था। जहां अन्य कैदी एक-दूसरे से सवालों के उत्तर पूछते, वहीं मुन्ना किसी से बात नहीं करता था ।
पेशी के लिए बागपत लाया गया था डॉन
दो साल पूर्व बड़ौत के पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित ने पूर्वांचल के कुख्यात मुन्ना बजरंगी पर रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज कराया था। सोमवार को बागपत कोर्ट में पेशी के लिए रविवार रात ही बजरंगी को सुरक्षा के बीच झांसी से बागपत जेल भेजा गया था। सोमवार की सुबह करीब छह बजे आधा दर्जन गोलियां चलने की आवाज आई। इसके कुछ देर बाद बजरंगी के हत्या का शोर जेल में गूंज उठा। हत्या से जेल प्रशासन में हड़कंप मचने के साथ लखनऊ तक का प्रशासन हिल गया। जानकारी मिलते ही डीएम ऋषिरेंद्र, एसपी जयप्रकाश भारी पुलिस बल के साथ जेल पहुंचे। सुरक्षा को जेल के चप्पे चप्पे पर भारी पुलिस तैनात रहे। वहीं पोस्टमार्टम के रिपोर्ट के अनुसार डॉन के सिर में 10 गोलियां मारी गई है। शव को गटर में डाला गया था। इस हत्याकांड के बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जेलर को सस्पेंड करने के साथ ही न्यायिक जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
कानपुर में व्यापारी की थी हत्या
मुन्ना बजरंगी में 2004 में कानपुर में दस्तक दी थी। जौनपुर के शातिर राजू गर्ग ने कानपुर में अपना ठिकाना बना कर स्क्रैप की ठेकेदारी का काम शुरू कर दिया। उस दौरान ठेकेदारी में माफिया का बड़ा नेटवर्क काम करता था। राजू के सामने कोई टिक न सके इसके लिए उसने माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी से हाथ मिला लिया। राजू ने एक तरह से मुन्ना को अपना सरंक्षक बना लिया। बजरंगी उसकी सुरक्षा करता तो बदले में राजू उसे गुंडा टैक्स देता। दसके बाद स्क्रैप ठेकेदारी में राजू का सिक्का चल पड़ा। बजरंगी से नाम जुड़ने के बाद जो कोई उसके रास्ते में आता, उसे इस दुनिया से उठा दिया जाता था। स्वरूप नगर निवासी स्क्रैप कारोबारी विमल की हत्या में भी बजरंगी गैंग का नाम आया था। इस मामले में एक सिपाही की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के दौरान उसने बताया था कि मुन्ना ने सुपारी लेकर व्यापारी की हत्या की थी।
कुछ इस तरह से बोले एडीजी
बागपत में मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या के मामले में कानपुर एडीजी जोन अविनाश चन्द्र ने बताया कि वो झांसी से कडी सुरक्षा व्यवस्था में मुन्ना को बागपत भेजा गया था। मुन्ना की पत्नी की उसकी हत्या की आशंका जताने पर जेल में सुरक्षा बढा दी गयी थी। पिछले कई सालों से मुन्ना बजरंगी झांसी जेल में था। जब भी उसे जेल से पेशी पर भेजा जाता था पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाती थी। बागपत भेजने में भी सुरक्षा नियमों का पालन किया गया था.। झांसी से कल सुबह मुन्ना को लेकर एक इंस्पेक्टर, एक एसआई और 18 सिपाहियों के साथ उसे बागपत भेजा गया था। इसके साथ ही उन्होंने जोन के सभी कप्तानों को जेलों में डीएम से तालमेल कर जेल की सुरक्षा का जायजा लेंने को कहा है। एडीजी ने जेलों में सीसीटीवी लगवाने और कुख्यात कैदियों से मिलने आने वालों पर नजर रखने का निर्देश दिया है। बतादें माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी को 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था, इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी।