scriptलद्दाख की माइनस ४० डिग्री वाली ठंडक में भी नहीं ठिठुरेंगे भारतीय जवान | DRDO's snowman will provide warmth to Bukhari army personnel on snowy | Patrika News

लद्दाख की माइनस ४० डिग्री वाली ठंडक में भी नहीं ठिठुरेंगे भारतीय जवान

locationकानपुरPublished: May 18, 2020 01:58:38 pm

डीआरडीओ ने बनाया ऐसा उपकरण जो बंकरों में भी देगा गर्मी
हिमतापक बुखारी २० वर्गमीटर के बंकर और टेंट को रखेगा गर्म

लद्दाख की माइनस ४० डिग्री वाली ठंडक में भी नहीं ठिठुरेंगे भारतीय जवान

लद्दाख की माइनस ४० डिग्री वाली ठंडक में भी नहीं ठिठुरेंगे भारतीय जवान

कानपुर। देश में भले ही गर्मी का मौसम चल रहा हो, लेकिन सीमावर्ती पहाड़ी इलाकों में साल भर ठंडक रहती है। लद्दाख और जम्मूकश्मीर की बर्फीली चोटियों पर तैनात भारतीय सेना के जवान साल भर इसी ठंडक से जूझकर देश की सीमाओं को सुरक्षित रखते हैं। उन्हें माइनस ४० डिग्री की हड्डी गला देने वाली ठंड में भी बर्फीली हवाओं से जूझना पड़ता है। ये ऐसे इलाके होते हैं जहां न सूखी लकड़ी होती है और ना ही आग जलाने का दूसरा इंतजाम। ऐसे में हमारे जवानों को गर्मी देेने के लिए डीआरडीओ ने हिमतापक बुखारी तैयार किया है जो जवानों को ठंडक से राहत देगा।
टेंट और बंकर को रखेगा गर्म
बर्फीली जगहों पर सैनिकों को अब हिमतापक बुखारी गर्मी देगा और वो अपने बंकर में सामान्य तापमान का एहसास कर सकेंगे। डीआरडीओ की लैब से मान्यता मिलने के बाद इसका उत्पादन भी शुरू हो चुका है। हिमतापक बुखारी के सफल परीक्षण के बाद रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की दिल्ली स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फीजियोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज लैब ने एक माह पहले मान्यता दे दी है। पांच हजार उपकरण तैयार भी कर लिए गए हैं। इसी माह दो हजार पीस सीओडी को दिए गए हैं। सैन्य उपकरण बनाने वाले शहर के उद्यमी अमित अग्रवाल ने सौर ऊर्जा, बिजली व केरोसिन तीनों से संचालित होने वाला ऐसा हिमतापक बुखारी विकसित किया है, जिससे 20 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के बंकर व टेंट को गर्म रखा जा सकता है।
तपिश संग ऑक्सीजन का स्तर रखता सही
हिमतापक तैयार करने वाले उद्यमी अमित अग्रवाल ने बताया कि इसमें लगा चार्जर कंट्रोलर वोल्टेज को नियंत्रित करने के साथ पंखे को भी चलाता है। यही पंखा गर्म हवा बंकर व टेंट में फेंकता है। उपकरण से नीली लौ निकलती है, जो ऑक्सीजन का स्तर घटने नहीं देती है। बंकर में मौजूद सैनिकों को सांस लेने में भी परेशानी नहीं होगी। आग लगने का खतरा भी नहीं रहेगा। इसके पहले प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरण केरोसिन से चलते थे जिनसे हानिकारक कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस निकलने का खतरा बना रहता था।
किसी तरह का खतरा नहीं
यह पूरी तरह से सुरक्षित उपकरण है। इसमें आग लगने का खतरा नहीं है। पहले बने उपकरणों में हवा के उल्टे दबाव से आग का खतरा रहता था। इसमें चार्जर कंट्रोलर वोल्टेज को नियंत्रित करने के साथ गर्म हवा फेंकने वाले पंखे को भी नियंत्रित रखता है। अमित अग्रवाल ने बताया कि पहाड़ों पर सैनिकों के टेंट गर्म करने वाले उपकरण मिट्टी के तेल से संचालित हैं क्योंकि विद्युत उपलब्धता नहीं है। हिमतापक बुखारी को सौर ऊर्जा और विद्युत दोनों से संचालित किया जा सकता है। इसके लिए 20 वॉट का सोलर पैनल लगाया गया है, इससे 50 फीसद मिट्टी का तेल बचा सकते हैं। हिमतापक बुखारी में कुकिंग स्टैंड भी लगाया गया है। इस पर कुकर से दाल, चावल व खिचड़ी आदि भी बनाई जा सकती है। बंकर व टेंट में रहने वाले सैनिकों का भोजन बनाना आसान होगा।
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