कानपुर

यहां पानी की बजाय जहर पीने की है नौबत, ग्रामीण बोले पलायन करने पर मजबूर

ग्रामीणों की माने तो कई बार अधिकारियों से इसकी शिकायत की गई, लेकिन कोई निराकरण नही किया गया।

कानपुरAug 22, 2020 / 06:20 pm

Arvind Kumar Verma

यहां पानी की बजाय जहर पीने की है नौबत, ग्रामीण बोले पलायन करने पर रहेगी जिंदगी सुरक्षित

कानपुर देहात-एक तरह सरकार स्वच्छता अभियान के लिए तत्पर है। वहीं दूसरी तरफ फैक्ट्रियों का केमिकल पेयजल में जहर घोल रहा है। उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ता प्रदूषण लोगो के लिए अब जानलेवा साबित हो रहा है। इसका एक जीता जागता नज़ारा कानपुर देहात में देखने को मिला, जहां गांव के आसपास बनी फैक्ट्रियों से निकलता केमिकल गांव के ही पास डाल दिया जाता है। फलस्वरूप फैक्ट्रियों से निकला ये केमिकल गांव के नलों के पानी को दूषित कर ज़हर के रूप में निकल रहा है, जिससे ग्रामीण सहित जानवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। कानपुर देहात के रनिया, नवीपुर और रायपुर में काफी संख्या में निजी फैक्ट्रियां हैं। जिसमें कुछ टेक्सटाइल और पेपर मिल फैक्ट्रियां भी है। इन फैक्ट्रियों से रोजाना भारी मात्रा में जहरीला केमिकल निकलता है, जो लोगो के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। बताया गया कि इनमें से कई फैक्ट्रियां ऐसी हैं, जिनका न तो प्रदूषण कार्यालय में और न ही डीआईसी में पंजीयन है।
पैर पसार रही बीमारियां

ग्रामीणों की माने तो कई बार अधिकारियों से इसकी शिकायत की गई, लेकिन कोई निराकरण नही किया गया। ग्रामीणों का कहना है कि आसपास फैक्ट्रियों से निकलता केमिकल और केमिकल युक्त पानी जमीन के अंदर भूगर्भ में डाला जा रहा है। जिसकी वजह से गाव के नलों से दूषित पानी निकल रहा है। ये पानी पीकर यहाँ के जानवर भी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। गांव में पीने के लिए स्वच्छ पानी लोग साइकिलों से काफी दूर से लाते हैं। बताया जा रहा है कि इस गांव में पानी सिर्फ नलों से ही मिलता है।
ग्रामीण बोले अधिकारी कर रहे अनदेखा

जल प्रदूषण के साथ ही फैक्ट्रियों से निकलता ये ज़हरीला धुँआ वायु को भी दूषित कर रहा है। यहां ऐसी सैकड़ो फैक्ट्रियां हैं। जहां से इस तरह से निकलता जहरीला धुआं वायु प्रदूषण फैला रहा है। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला केमिकल गांव के पास ही फेंक दिया जाता है। जिसका विपरीत प्रभाव होने से यहाँ की जमीन भी बंजर हो रही है। फैक्ट्रियों का ये केमिकल युक्त ज़हरीला पानी बहकर नहरों में गिरकर भूगर्भ जल में मिल रहा है, जिससे फैलने वाली बीमारियों के चलते लोगो में रोष व्याप्त है। लोगो की माने तो अधिकारी आते हैं और देखकर चले जाते हैं।
ग्रामीण गांव छोड़ने की कह रहे बात

आपको बता दें कि गांव के नालों से निकल रहे इस दूषित पानी की वजह से गांव के बाहर 7 साल पहले पानी की टंकी भी बनाई गई थी, जिसकी सप्लाई गांव में ही होनी थी। ग्रामीणों की मानें तो सरकार द्वारा बनवाई गई इस पानी की टंकी में भी उसी तरह से दूषित पानी निकल रहा था, जिसकी वजह से इस टंकी को बंद कर दिया गया है। बावजूद जिले के आलाधिकारी अभी कोई सख्त कदम नहीं उठा रहे हैं, जिससे गांव में बढती लगातार पानी की समस्या से त्रस्त ग्रामीण अब गांव छोड़ने की बात कर रहे हैं।
बोर्ड के अधिकारी का कहना है कि

इस मामले में जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी आनंद कुमार के मुताबिक फैक्ट्रियों से निकलने वाला (हजार्ड्स वेस्ट) यानि केमिकल कई सालों से यहाँ अवैध रूप से भंडारित है। जिसके लिए इआरएम के माध्यम से काम कराया जा रहा है, जिसमे रेमिडेशन का काम होना है। जिसको सेन्ट्रल पॉल्यूशन बोर्ड भारत सरकार और प्रदेश सरकार की मदद से काम होना है, जो प्रक्रिया अभी चल रही है।
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