बताया गया कि यहां पर रात्रि को पशु आश्रय स्थल से छोड़ दिए जाते हैं। यह आरोप वहां के किसानों और ग्रामीणों ने लगाया है। साथ ही प्रतिदिन कोई न कोई पशु चारा के अभाव में दम तोड़ रहा है। वहीं अगर पशु आश्रय स्थलों पर काम करने वालों की बात करें तो उनका कहना है कि जब से पशु आश्रय स्थल संचालित हुआ है। तब से शासन की ओर से कोई निर्धारित पगार उन्हें नहीं मिली, बल्कि ग्राम प्रधान ही उनको कुछ न कुछ रकम दे देते है, जिससे वह प्रतिदिन सुबह से शाम पशु आश्रय स्थलों में पशुओं की देखभाल करते हैं। आवारा पशुओं की संख्या की बात की जाए तो जितने पशु पहले थे, उतने पशु अब आश्रय स्थलों में देखने को नहीं मिलते हैं।
आपको बता दें कि यह वही पशु आश्रय स्थल है, जहां पर रसूलाबाद विधायक निर्मला संखवार पशु आश्रय स्थल का लोकार्पण करने पहुंची थी तो पशुओं को पशु आश्रय स्थल में रखा गया था। उत्तर प्रदेश सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही के चलते दम तोड़ रही है। आज भी खुलेआम आवारा घूम रहे हैं और फसलों को चट कर रहे हैं। जिन पर किसी भी प्रकार का अंकुश नहीं लग पा रहा। जिसके चलते किसानों में भारी रोष व्याप्त है।