scriptकानपुर के शिवाले पहुंचा दशानन, प्रजा की समस्याओं का कर रहा निराकरण | dussehra 2017 celebration in kanpur hindi news | Patrika News

कानपुर के शिवाले पहुंचा दशानन, प्रजा की समस्याओं का कर रहा निराकरण

locationकानपुरPublished: Sep 30, 2017 02:53:05 pm

सौ वर्षों से इस परिवार में हो रहा रावण का जन्म।

kanpur

कानपुर. पूरे देश में दशहरे के पर्व पर शाम को रावण के पुतले को दहन किया जाएगा और लोग असत्य पर सत्य की जीत का जश्न मनएंगे, लेकिन कानपुर के शिवाले में 365 दिन बाद दशानन अपने लाव-लश्कर के साथ मंदिर पर बैठा और अपनी प्रजा की समस्याओं का निराकाण कर रहा है। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में उसके अनुयायी देर रात से मंदिर के बाहर जमा हो गए और सुबह 9 बजे जैसे रावण के घर का दरवाजा खुला, वैसे भक्तगण जयकारे लगाने लगे। भक्त विधि-विधान से रावण की पूजा अर्चना करने के साथ मन्नत मांग रहे हैं। बता दें यूपी में रावण का इकलौता मंदिर है, जहां उसे पूजा जाता है। मंदिर के पट साल में एक बार आज के ही दिन 12 घंटे के लिए खुलते हैं। लोगों का मानना है कि खुद लंकेश्वर शिवाला आता है और अपने भक्तों के दुख-दर्द को खत्म करता है।


खुले मंदिर के पट, पूजा-पाठ का चल रहा दौर


रावण का ये मंदिर उद्दोग नगरी कानपुर के शिवाले में मौजूद है। विजयदशमी के दिन विधि-विधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रंगार किया गया। इसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की गई। मंदिर के पुजारी विकास के मुताबिक ब्रह्म बाण नाभि में लगने के बाद और रावण के धराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया। यह वह समय था जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरों की तरफ खड़े हो कर सम्मान पूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो, क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न कभी होगा,रावण का यही स्वरूप पूजनीय है और इसी स्वरुप को ध्यान में रखकर रावण को पूजा जाता है।


1868 में मंदिर का हुआ था निर्माण


पुजारी ने बताया कि शिवाले में 1868 इस मंदिर का निर्माण कराया गया। मंदिर में तबसे आज तक निरंतर रावण की पूजा होती है लोग हर वर्ष इस मंदिर के खुलने का इन्तजार करते हैं। मंदिर खुलने पर यहां पूजा अर्चना बड़े धूम धाम करने के बद रावण की आरती भी की जाती है। रावण के इस मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से लोगों के मन की मुरादें भी पूरी होती हैं और लोग इसी लिए यहां दशहरे पर रावण की विशेष पूजा करते हैं। नौबस्ता निवासी विकास जो रावण की पूजा-अर्चना के लिए परिवार समेत देररात से मंदिर के बाहर खड़े थे, ने बताया कि पिछले साल हमने जॉब के लिए मन्नत मांगी थी, जो पूरी हो गई। इसी के चलते आज राजा रावण के दर्शन के लिए आए हैं।


काटा गया केक, मनाया जन्मदिन


रावण मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद रावण का जन्मदिन मनाया गया। मंदिर के पुजारी ने केक की व्यवस्था पहले से कर ली थी और सुबह 10 बजे धूम-धाम से केक काटकर दशानन का जन्मदिन मनाया गया पुजारी ने बताया कि रावण को जिस दिन राम के हाथों मोक्ष मिला उसी दिन उनका जन्म भी हुआ था। पुजारी के मुताबिक रावण बहुत ज्ञानी औैर भगवान शिव का भक्त था । रावण को एक श्राप के चलते गलत रास्ता पकड़ना पड़ा। जिस वक्त रावण की मौत हुई उस वक्त वो जय श्रीराम कह रहा था। खुद भगवान राम ने भी रावण की प्रसंसा की है। पुजारी ने बताया कि आज पूरे दिन रावण की मौजूदगी का एहसास मंदिर पर होता है। यहां जो भी भक्त आते हैं औ लंकेश्वर से मन्नत मांगते हैं वो पूरी होती हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो