1 खंभा, 50 बांस-बल्ली के पोल
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और योगी सरकार के बिजली मंत्री श्रीकान्त शर्मा के सपनों में उनके अफसर पानी फेर रहे हैं। शहर से सटे ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां आज भी बिजली नहीं पहुंची। लोग चिमनी के सहारे अपने जीवन गुजार रहे हैं। तो दूसरी तरफ जिन गांव में बिजली की व्यवस्था की है, वो बांस-बल्लियों के बल पर चल रही है। पत्रिका टीम ने कल्याणपुर के मिर्जापुर गांव जाकर पड़ताल की बिजली विभाग की लापरवाही खुलकर सामने आई। ग्रामीणों ने बताया कि दो साल पहले बिजली विभाग के अधिकारी आए और एक पोल लगा कर चले गए। कई बार विभाग के अधिकारियों के पास जाकर शिकायत की और नए सिरे से पोल लगाने के साथ तार की व्यवस्था करने को कहा, पर किसी ने हमारी फरियाद नहीं सुनी। थक-हार कर हमसब ने बांस-बल्लियों के जरिए आने-अपने घरों में बिजली पहुंचाई।
बांस के पोलों पर लिखा है ग्रामीणों का नाम
गांव के बाहर बिजली का एक पोल खड़ा है और उसी के जरिए गांववाले अपने घरों को रोशन कर रहे हैं। गांववालों ने बताया कि कभी आधी- तूफान आ जाता है तो यह बास गिर जाते हैं। जिसके चलते मैदान में करंट उतर आता है। छोटे बच्चे, बुजुर्ग हर दिन तारों के नीचे से निकल कर स्कूल व अन्य स्थानों के लिए निकलते हैं। यहां पर एक बिजली के खम्भे के साथ 50 बांस-बल्लियां लगी हुई हैं और उनमें बकाएदा ग्रामीण अपना-अपना नाम लिखे हुए हैं। बरसात के मौसम में जिस ग्रामीण का बांस गिर जाता है तो जान पर खेलकर उसे दोबरा जमीन पर गाड़ अपने घर में बिजली पहुंचाता है। हर दिन ग्रामीण अपनी जान की बाजी लगाकर घरों में रोशनी पहुंचा रहे हैं।
सहम जाते हैं ग्रामीण
बांस के तमाम पोल सड़ चुके हैं जो कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। पोल पर बिछाए गए तार काफी नीचे आ चुके हैं जिससे राहगीरों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। अक्सर तारों के उलझे होने की वजह से फाल्ट की घटनाएं भी होती रहती हैं। जब भी तेज हवा चलती है, राहगीर सहित आसपास के मकान वाले भी सहम जाते हैं। यह गांव तो महज बानगी है क्षेत्र के दर्जनों गांवों में आज भी विभाग इन्हीं जर्जर बांस-बल्ली के पोलों के सहारे आपूर्ति कर रहा है। उपभोक्ताओं से नियत समय पर बिल की वसूली के लिए विभाग अभियान तो चलाता है लेकिन लोगों की समस्याएं निस्तारित करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। इतना ही नहीं कई बार लोगों ने विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग भी की, लेकिन विभाग ने एक न सुनी।
सीएम नहीं चेते तो चुनाव में नुकसान
उपभोक्ता राजेश, रामकरण, अंजली देवी, शिवकुमार पासवान कहते हैं कि कई बार एक की जगह कई पोल की मांग की गई पर ध्यान नहीं दिया गया। ग्रामीण रामकरण कहते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ के आने से हमलोगों की उम्मीद थी कि गांव में बिजली की बेतहर सुविधा मिलेगी। हमारे घर में रोशनी होगी। बेटा व बेटी को चिमनी के सहारे नहीं पढ़ना पड़ेगा, लेकिन सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। अंजली कहती हैं कि योगी सरकार ने एक साल से ज्यादा का कार्यकाल पूरा कर लिया। नौकरशाहों ने जो कागज में रिपोर्ट बनाकर उनके पास पहुंचा दी, उसे वो सही मान कर चुप बैठ जाते हैं। जबकि आज भी नौकरशाहों के चलते आमजनता को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला। अगर इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो तो कुछ हद तक हालात सुधर सकते हैं। अगर सीएम योगी ऐसे हाथ पर हाथ रखे बैठे रहेंगे तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है ।
कुछ इस तरह से बोले जिम्मेदार
सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने कहा कि मुझे ऐसे मामले की जानकारी नहीं है। फिर भी आपने बताया है तो मैं गांव जाकर पूरे प्रकरण को देखूंगा और बांस-बल्लियों के सहारे बिजली सप्लाई पाई गई तो विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जबकि विधयक नीलिमा कटियार ने बताया कि मेरी विधानसभा में लगभग-लगभग हर गांव में बिजली पहुंचा दी गई है। फिर भी मैं मिर्जापुर जाकर ग्रामीणों से जानकारी करूंगी और यदि वहां बिजली बांस-बल्लियों के सहारे आपूर्ति की जा रही है तो पोल की व्यवस्था कराई जाएगी। जबकि मामले पर केस्को एमडी से बात करनी चाही गई तो उन्होंने कॉल रिसीब नहीं की।