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सड़कों पर दौडऩे वाले वाहन 2030 तक प्रदूषण मुक्त होंगे

locationकानपुरPublished: Feb 28, 2019 01:46:28 pm

बीएस-६ के साथ इलेक्ट्रिक वाहन भी उतारे जाएंगेकेंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मेडिकल कॉलेज में दी जानकारी

Electric Vehicle

सड़कों पर दौडऩे वाले वाहन 2030 तक प्रदूषण मुक्त होंगे

कानपुर। वाहनों के हानिकारक उत्सर्जन से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए वाहनों की तकनीक में बड़े पैमाने पर बदलाव किया जाएगा। कोशिश है कि २०३० तक सड़कों पर बीएस-६ तकनीक वाले वाहन चलाए जाएं। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बड़ी संख्या में चलाने की तैयारी है। इससे वायु प्रदूषण दूर करने में काफी मदद मिलेगी। केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में यह जानकारी दी।
मिशन इनोवेशन में तेजी
केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वाहनों का प्रदूषणकारी तत्व जीरो तक पहुंचाने का समय आ गया है। इनसे निकलने वाली हानिकारक गैसों से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। डॉ. हर्षवर्धन के मुताबिक मिशन इनोवेशन के तहत देश में बड़ी तेजी से काम हो रहा है। इसके तहत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कई स्तर पर रिसर्च हुए हैं। विभिन्न स्तरों पर वाहनों का ट्रायल भी शुरू हो चुका है।
ऑटोमोबाइल उद्योग में बड़ा बदलाव
डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि ऑटोमोबाइल उद्योग में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं जिसके चलते उत्सर्जन मानदंड को लागू किया जा सकेगा। इससे यह भी फायदा हो होगा कि अपना देश अमेरिका, यूरोपीय देशों और दुनिया के अन्य देशों के बराबर खड़ा हो जाएगा जहां उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी तकनीक से उन देशों में वाहनों से हानिकारक उत्सर्जन शून्य है।
ग्रीन एनर्जी में बढ़ते कदम
उन्होंने ने कहा कि ग्रीन एनर्जी की ओर बीते वर्षों में बेहतर काम हुए हैं। सोलर पर आधारित 175 गीगा वॉट क्षमता तक विद्युत उत्पादन हो सकेगा। इससे भी प्रदूषणकारी तत्वों पर लगाम लग सकेगी। बीएस मानक 2000 में पेश किया गया था। इसके तहत ईंधन और प्रौद्योगिकी के साथ आंतरिक प्रदूषक इंजनों की संरचना में व्यापक बदलाव किया जाता है। इससे वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) और सल्फर ऑक्साइड जैसे वायु प्रदूषकों की मात्रा न्यूनतम स्तर तक पहुंच जाती है।
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